डेस्क. छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले के बेरला में संचालित श्रीस्वामीनारायण गुरुकुल इंटरनेशनल स्कूल के साइंस एग्जीबिशन में कई छोटे बच्चों ने हैरान करने वाले आइडियाज दिए. कुछ के आइडियाज तो ऐसे थे जो लाइफ स्टाइल को न सिर्फ इजी कर सकते हैं बल्कि उपयोगी बना सकते हैं. इसमें सबसे खास आधुनिकता में प्राचीनता के समावेश ने सभी का ध्यान खींचा. गुरुओं का जहां आशीर्वाद मिला तो वहीं स्टूडेंट्स ने साइंस के ऐसे-ऐसे मॉडल पेश किए जो न सिर्फ हमारे जीवन को आसान बनाएंगे बल्कि आधुनिकता के साथ परंपरा को भी संजोकर रख सकेंगे. स्मार्ट सिटी और ट्रैफिक कंट्रोल का मॉडल जहां यातायात की समस्याओं से निजात दिलाने में मदद करने वाला था, तो वहीं ट्रायबल हाउस का कॉन्सेप्ट भी महत्वपूर्ण रहा.
कार्यक्रम का शुभारंभ मुक्तवललभदास स्वामी व हैदराबाद गुरुकुल के तीर्थस्वरूपदासजी व अन्य संतों ने भगवान स्वामी नारायण की प्रतिमा के समीप दीप प्रज्जवलन कर किया. कार्यकम की प्रारंभिक कड़ी में विद्यालय के पूर्व छात्र प्रशांत माहेश्वरी व राविन मौर जिन्होंने सीए की डिग्री प्राप्त की है उन्हें स्वामीजी ने सम्मानित किया. कार्यकम के पूर्व छात्रों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम का प्रदर्शन किया, जिसकी अभिभावकों ने भूरि-भूरि प्रशंसा की.
तीर्थस्वरूपदासजी स्वामी ने विज्ञान प्रदर्शनी के विषय में बताते हुए कहा कि प्रत्येक परियोजना हमारे स्वामीजी के सतत् परिश्रम और छात्रों द्वारा बड़े समर्पण और कौशल के साथ बनाई गई है. मुक्तवल्लभदास स्वामी ने छात्रों के इस परिश्रम की सराहना करते हुए कहा कि वास्तव में विद्यार्थियों में प्रतिभा की कमी नहीं है, उन्हें उचित मार्गदर्शन व वातावरण की आवश्यकता है. इसे गुरुकुल उन्हें देने का प्रयास कर रहा है. इस प्रदर्शनी में 70 से 80 मॉडल बच्चों द्वारा तैयार किया गया था. सभी एक से बढ़कर एक था.
ये मॉडल रहे खास
आदिवासियों को दिलाएगा पहचान
कई ऐसे प्रोजेक्ट भी रहे जो आगंतुक अभिभावकों के लिए नवाचार का विषय रहा. इसमें ट्रायबल हाउस हमारे प्राचीन काल में जीवन को दिखाने और दुनियाभर में कुछ मौजूदा आदिवासियों को पहचानने का एक प्रयास था. इसकी सभी ने भूरि-भूरि प्रशंसा की.
ये मॉडल भी प्रभावी
मेट्रो सिटी महानगरीय शहरों में यातायात को कम करने के लिए सबसे नवीन विचारों में से एक रहा. जलचक्र एक प्राकृतिक प्रकिया है और बारिश का मुख्य कारण है. शहरों में प्रदूषण और ट्रैफिक को कम करने के लिए स्मार्ट को सबसे लोकप्रिय व अनोखा तरीका बताया गया. सिंधु घाटी, यह कांस्य युग का एक प्राचीन और प्रसिद्ध नागरिक सभ्यता है. धुआं अवशोषक का उपयोग हवा को साफ करने के लिए किया जाता है.
सेल्फी जोन
इसे कुछ सेल्फी क्लिक करके मेहमानों और छात्रों के साथ यादें बनाने के उद्देश्य से बनाया गया था. केवल विज्ञान ही नहीं सभी विषयों से संबंधित प्रोजेक्ट का निर्माण छात्रों ने किया था. प्राचीन व नवीन गुरुकुल परियोजना के माध्यम से बालकों ने यह समझाने का प्रयास किया था कि गुरुकुल उसके छात्रों को समय के साथ और अधिक कुशल बनाने के लिए सभी नवाचारों और आधुनिकीकरण को अपना रहा है.
नैतिक शिक्षा पर भी जोर
विज्ञान प्रदर्शनी का अवलोकन कर अभिभावकों और दर्शकों ने छात्रों की इस प्रतिभा की सराहना करते हुए कहा कि निश्चय ही गुरुकुल छात्रों को नैतिक शिक्षा के साथ ही आधुनिक ज्ञान से अछूता नहीं रखते हुए सर्वागीण विकास पर ध्यान देता है. इस अवसर पर 4000 से अधिक अभिभावकों ने इस प्रदर्शनी का आनंद लिया. प्राचार्य डी. रघुनाथ ने कहा कि एक प्रकार के अनेक कार्यक्रमों का आयोजन गुरुकुल समय-समय पर करते रहता है, जिससे छात्रों में अनेक प्रकार के प्रतिभा का विकास हो सके. कार्यक्रम का संचालन विद्यालय के शिक्षक अमित सोनी व शिवम शर्मा ने किया. अंत में धन्यवाद ज्ञापन के साथ ही कार्यकम समाप्ति की घोषणा की गई.
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