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Unglibaji by Newsbaji: साहब हैं बेचारे या लटकेराम...

 Newsbaji  |  Dec 31, 2023 03:02 PM  | 
Last Updated : Dec 31, 2023 03:02 PM
हफ्तेभर की...
हफ्तेभर की...

-उंगलीबाज

साहब हैं बेचारे या लटकेराम...
बाबू से लेकर छोटे साहब और झाड़ू-पोंछा वाले मातहत... सबकी शिकायतें रहती हैं अपने बड़े साहब से. कहते हैं कि बड़े साहब हैं जो सुनते ही नहीं. उल्टे हमारे कामों में उंगली करते हैं. हमारी पदोन्नति रोक देते हैं, सीआर बिगाड़ देते हैं. अदालत जाते हैं तब फटकार जरूर पड़ती है इन साहबों को. लेकिन, फिर भी कान में जूं तक नहीं रेंगती. फिर कोसते हैं कि क्या इन साहबों को अपनी नौकरी की भी परवाह नहीं है. लेकिन, इन मासूमों को कौन समझाए कि साहब खुद लटकेराम हैं. सरकार और सचिव स्तर के अधिकारी भी जो बैठे हैं जो इन्हें कुछ नहीं करने देना चाहते. कोर्ट अवमानना का नोटिस पर नोटिस का डंडा लगाए रहता है फिर भी साहब हैं कि कुछ करते ही नहीं. कर भी कैसे सकते हैं. एक तरफ सरकार तो दूसरी तरफ अदालत. अवमानना के मामले बढ़ रहे हैं, मतलब आप भी ये मत सोचें कि साहब को कोई परवाह नहीं है. भई किसको अपनी नौकरी की परवाह नहीं रहेगी. लेकिन, हैं तो लटकेराम ही न. इधर की सुनें कि उधर की. लटके हैं बस पेंडुलम बनकर इसी इंतजार में कि इधर से मारेंगे तो उधर जाएंगे, उधर मार पड़ेगी तो इधर आएंगे.  

बेटा कोरोना... अभी मत रोना...
कोराेना दबे पांव फिर दस्तक दे चुका है. शहर-शहर में अभी शिकार बनाने भी लगा है. लेकिन, न इससे अभी लोग डरे हैं और न सरकार और प्रशासन ने लोगों को डराना ही शुरू किया है. ऐसे में कोरोना को ही रोना आ रहा है. वह भी बड़ा नादान और भुलक्कड़ है. कहता है कि कोई नहीं डर रहा मुझसे. अगर आपको याद होगा तो एक बार आप ही उसे याद दिला दें. शायद तब भविष्य में डराने की उम्मीद लगाकर बैठ जाए. याद आया आपको. जी हां, बंगाल चुनाव. हां, सही समझे. हिंदी पट्टी में घुट्टी पिलाने के बाद और दक्षिण के कर्नाटक तक को साधने के बाद भी बंगाल है कि बहक ही नहीं रहा. उसी को बहकाने के दौर में कोरोना ने पैर पसारना शुरू किया था. लेकिन, तब भी उसके मुंह को बंद कर दिया गया था. जैसे ही चुनाव निपटा, कोरोना का हाहाकार मच गया था. अभी 2-2 बड़े काम सामने पड़े हैं. एक तो अभी ठीक 22 दिन बाद ही वो मौका आ रहा है. दूसरा काम अप्रैल-मई में आएगा. ऐसे में कोई तो कोरोना को समझा दो भाई, पहले वाले काम तक ही तो माहौल बनाने दे दो. तब तक शांत बैठ जाओ और मत रोओ. फिर तो तुम्हारे ही दिन रहने वाले हैं. अभी घुलने-मिलने दो.

एक अनार... कराएगा नैया पार...
एक जमाना था जब छत्तीसगढ़ में सरकार गठन के साथ ही मंत्रियों की फौज हुआ करती थी. फिर एक वक्त आया जब 13 मंत्रियों की बंदिश लगा दी गई. तब शुरू हुआ रुठने-मनाने का दौर. एक को मंत्री बनाया तो दूसरा नाराज, पहले को काटकर दूसरे को बनाया तो पहला नाराज. लेकिन अब बीजेपी ने कई पुराने चावल को किनारे लगाकर मंत्रिमंडल न सिर्फ घोषित कर दी है, बल्कि विभागों का बंटवारा भी कर दिया है. आप कहेंगे कि 1 पद बचाकर और दर्जनों को निराश कर अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार ली है. अगर ऐसी ही सोच रखते होंगे तो आपको बता दें कि आप मुगालते में हैं. भई अभी लोकसभा चुनाव के लिए भी तो काम करना है. अगर 13 के 13 मंत्री बना देते तो बाकी नाहक ही काम करते. लेकिन, आलाकमान ने चाल ऐसी चली कि इस एक अनार के लिए दर्जनों बीमार पार्टी की सेहत बनाने के लिए बेकरार नजर आएंगे. भई, जो बाहर वाला चुनाव में अच्छा काम करेगा, उसे एक बची सीट पर एडजस्ट होने का मौका तो मिलेगा. तभी बीजेपी की नइया पार होगी. है न कमाल की बात...

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