रायपुर। छत्तीसगढ़ में स्वाइन फ्लू का खतरा बढ़ता जा रहा है। प्रदेश में अब स्वाइन फ्लू के कुल मामलों की संख्या 49 हो गई है। 22 केस अब भी एक्टिव हैं। जिनका अलग-अलग हॉस्पिटल में इलाज किया जा रहा है। उधर स्वास्थ्य विभाग ने गुरुवार देर रात 12 नए मामलों की पुष्टि की है जिसमें सबसे ज्यादा 4 मरीज राजधानी रायपुर के है।
स्वाइन फ्लू का खतरा
स्वाइन फ्लू के केस में चार लोग रायपुर के हैं। तीन लोग रायगढ़ से, दो मरीज राजनांदगांव से और एक-एक मरीज धमतरी, बस्तर और कोरबा जिलों से सामने आए हैं। अब धमतरी, रायपुर, दुर्ग, राजनांदगांव, बस्तर, बालोद, महासमुंद और कोरबा में एक्टिव मरीज हैं। इनमें से अधिकतर लोग राजधानी रायपुर के हॉस्पिटल में भर्ती हैं। ओडिशा से एक मरीज भी रायपुर के एक निजी हॉस्पिटल में इलाज कराने पहुंचा हैं। अब तक प्रदेश के 13 जिलों से स्वाइन फ्लू के मामले सामने आ चुके हैं। अब सबसे अधिक 18 मरीज रायपुर जिले में ही मिले हैं। इनमें से 11 लोगों को इलाज के बाद छुट्टी दी जा चुकी है। दुर्ग में 8 मरीज मिले थे, जिसमें से केवल एक को छुट्टी मिली है। रायगढ़ और राजनांदगांव में 5-5 मरीज मिले थे। रायगढ़ के सभी मरीज ठीक हो चुके हैं। वहीं राजनांदगांव के चार मरीज इलाज के बाद ठीक हो चुके हैं।
एक बच्ची की हुई थी मौत
बता दे कि, 07 अगस्त को स्वाइन फ्लू के दो मामलों की पुष्टि हुई थी। इनमें से कवर्धा की एक चार साल की बच्ची की इलाज के दौरान मौत हो गई। डॉक्टरों का कहना था कि, बच्ची में संक्रमण के बाद निमोनिया हो गया था। उसकी वजह से बच्ची के फेफड़ों ने काम करना बंद कर दिया था। वहीं बालोद की एक तीन साल की बच्ची का इलाज जारी है।
लापरवाही का खामियाजा
अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश में स्वाइन फ्लू के संक्रमित करीब 25-30 दिन पहले से मिल रहे थे। रिपोर्टिंग में देरी की वजह से पिछले सप्ताह ही संक्रमण की पुष्टि की जा सकी थी। डॉक्टरों का कहना है कि बरसाती मौसम को देखते हुए संक्रमण के फैलते चले जाने का खतरा बना हुआ है। हॉस्पिटल में भी पूरा एहतियात बरतते हुए मरीजों का इलाज किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग ने सभी हॉस्पिटल और अधिकारियों को सतर्क रहने के निर्देश जारी किए है।
स्वाइन फ्लू क्या है?
जानकार डॉक्टरों का कहना है कि, स्वाइन फ्लू या H1-N1 इंफ्लूएंजा भी सामान्य इंफ्लूएंजा यानी सर्दी-जुकाम जैसे लक्षणों वाला ही होता है। अंतर यह है कि सामान्य सर्दी-जुकाम अधिकतम तीन दिनों में ठीक हो जाता है। लेकिन स्वाइन फ्लू में यह कई दिनों तक चलता है। इससे श्वसन तंत्र को नुकसान पहुंचता है। छोटे बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और दिल, किडनी, फेफड़े, रक्तचाप, कैंसर आदि की बीमारियों से ग्रसित मरीजों के लिए यह फ्लू घातक साबित हो सकता है।
सतर्कता की जरुरत
डॉक्टरों का कहना है कि, स्वाइन फ्लू एक H1-N1 इंफ्लूएंजा वायरस की वजह से होता है जो सूअरों में पाया जाता है। तीन दिनों से अधिक समय तक 101 डिग्री से अधिक बुखार रह रहा हो, गले में खराश और सांस लेने में तकलीफ हो रही हो, नाक से पानी आ रहा हो या फिर नाक पूरी तरह बंद हो गई हो, थकान, भूख में कमी और उल्टी जैसे लक्षण स्वाइन फ्लू हो सकते हैं। अगर ऐसे लक्षण दिखें तो इसे नजर अंदाज न करें। तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
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