नेशनल डेस्क. जैन श्वेतांबर तेरापंथी शांतिनिकेतन गंगाशहर राजस्थान द्वारा युगप्रधान आचार्य महाश्रमण जी का 50 वां दीक्षा दिवस "युवा दिवस" के रूप में आयोजित किया गया. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सेवाकेंद्र व्यवस्थापिका शासनश्री साध्वी शशिरेखा ने कहा कि दीक्षा दिवस एक संत का दूसरा जन्म दिवस है. ठाणांग सूत्र में 4 प्रकार के साधुओं की चर्चा की गई है, इसमें सिंहवृति से ही संयम को स्वीकार करने वाले तथा सिंहवृति से ही उसे पालन करने वाले को श्रेष्ठ साधु कहा गया है.
आगे कहा कि आचार्य महाश्रमण ऐसे ही श्रेष्ठ साधु हैं. उनका जीवन अप्रमत्त, श्रमशील, साधनाशील है. आचार्य श्री तुलसी तथा आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी जौहरी थे, जिन्होंने महाश्रमण जी को परख लिया. उन्होंने इस अवसर पर आचार्य महाश्रमण के चिरायु, दीर्घायु होने की शुभकामना दी और कहा कि आज के ही दिन साध्वी प्रमुखा विश्रुतविभाजी का प्रथम चयन दिवस है, उन्हें भी आध्यात्मिक मंगलकामनाएं प्रेषित की. साध्वी ललितकला ने अपने उद्बोधन में कहा कि तेरापंथ धर्म संघ में जन्म लेने वाले उसमें संयम स्वीकार करने वाले और अपनी साधना के द्वारा धर्मसंघ के शिरमौर बनने वाले आचार्य श्री महाश्रमण जी का आज 50 वां दीक्षा दिवस है.
आचार्य तुलसी ने आचार्य महाप्रज्ञजी से एक बार कहा कि मुनि मुदित की आचार निष्ठा, गुरु निष्ठा व विनम्रता के प्रति में आकृष्ट हुआ हूं. भविष्य के प्रति सजग भी हो गया हूं, महाप्रज्ञ जी आपको आगे की चिंता करने की आवश्यकता नहीं रहेगी. साध्वी ध्रुवरेखा जी, साध्वी श्री लाभवती जी, साध्वी श्री प्रभाश्री जी एवं साध्वी श्री कंचन रेखा जी ने समारोह को संबोधित किया। कार्यक्रम का शुभारंभ अणुव्रत समिति के मनोज छाजेड़ ने मंगलाचरण द्वारा किया। तेरापंथी सभा के अध्यक्ष अमरचंद सोनी ने देश के महान व्यक्तियों के आचार्य महाश्रमण जी के बारे में कहे गए उदगारों को उल्लेखित करते हुए आचार्यश्री के सुदीर्घ जीवन की मंगलकामनाएं की. तेरापंथी महासभा संरक्षक जैन लूणकरण छाजेड़ ने कहा कि आंख तीन प्रकार की होती है। चमड़े की, बुद्धि, हृदय की,चमड़े की आँख खुलती है तब उठना कहते है बुद्धि कीआंख खुलती है तब समझना कहते हैं और हृदय की आँख खुलती है तब जगना कहते हैं.
दीक्षा जगना है, व्रतों का संग्रह है. दीक्षा अनंत की यात्रा है. अध्यात्म साधनाका पथ है। यह एक पवित्र संस्कार है। जीवन की विशेष उपलब्धी है। हर सम्प्रदाय में दीक्षा का महत्व है। जैन धर्म में वह उसमें भी तेरापंथ धर्म संघ में दीक्षित होना विशिष्ठ सौभाग्य की बात है,आचार्य महाश्रमणजी ने वि.स. 2031 वैशाख शुक्ला चतुर्दशी के दिन आचार्य तुलसी की आज्ञासे मुनि सुमेरमल जी लाडनूं से सरदारशहर में दीक्षित हुए। बालक मोहन मुनि मुदित कुमार हो गए. मुदित से महाश्रमण बने, महाश्रमण स युवाचार्य -आचार्य बनकर तेरापंथ धर्म संघ को नेतृत्व प्रदान कर रहें हैं.
तेरापंथ युवक परिषद अध्यक्ष अरुण नाहटा ने राष्ट्रीय स्टार पर आज युवा दिवस के रूप में मनाया जा रहा है. तेरापंथ महिला मंडल कोषाध्यक्ष मीनाक्षी आंचलिया ने आचार्य प्रवर के दीक्षा दिवस पर अपनी भावनाएं व्यक्त की. कार्यक्रम का सफल संचालन ज्ञानशाला प्रशिक्षिका रुचि छाजेड़ ने किया.
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