नेशनल डेस्क. श्रीलंका में बिगड़ते हालात के बीच राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने मंगलवार की आधी रात को इमरजेंसी हटा दी है। मंगलवार रात को जारी राजपत्रित अधिसूचना संख्या 2274/10 में राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने आपातकालीन नियम अध्यादेश को वापस ले लिया है। जिसके तहत सुरक्षा बलों को देश में किसी भी गड़बड़ी को रोकने के लिए व्यापक अधिकार दिए गए थे।
श्रीलंका में बिगड़ते हालाते के बीच राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने 1 अप्रैल को ही देश में इमरजेंसी लगाने का फैसला किया था। इसके बाद से ही उन्हें भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा था। मंगलवार शाम को भी हजारों स्टूडेंट्स ने राजधानी कोलंबो में भारी बारिश के बीच प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के घर तक मार्च प्रदर्शन किया।
आर्थिक संकट के बीच देशभर में चीन के खिलाफ लोगों में गुस्सा बढ़ता जा रहा है। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सरकार के पास पैसा नहीं है, क्योंकि उसने चीन को सब कुछ बेच दिया है।
कुछ इस तरह से रहा घटनाक्रम
- सरकारी आदेश के मुताबिक इमरजेंसी अध्यादेश 5 अप्रैल को आधी रात में रद्द कर दिया गया।
- श्रीलंका के पूर्व वित्त अधिकारी नंदलाल वीरसिंघे 7 अप्रैल को सेंट्रल बैंक गवर्नर का पद संभाल लेंगे।
- श्रीलंका ने नॉर्वे, इराक और ऑस्ट्रेलिया में विदेशी दूतावास अस्थायी रूप से बंद हो गए है।
अब सेना एवं पुलिस संभालेगी मोर्चा
श्रीलंकाई सेना ने हिंसक प्रदर्शनकारियों को कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी है। सेना ने मंगलवार को एक बयान जारी कर कहा, विरोध के नाम पर हिंसा करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की होगी। वहीं, श्रीलंका के रक्षा सचिव, जनरल (रिटायर्ड) कमल गुणरत्ने ने लोगों से हिंसा से दूर रहने की अपील की है। इधर, श्रीलंका की पुलिस ने भी प्रदर्शनकारियों को कानून नहीं तोड़ने की चेतावनी दी है।
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