सीतापुर। जिले में अघोषित बिजली कटौती से राहत मिल दिख नहीं रही है। शहर से लेकर ग्रामीण अंचल तक अघोषित कटौती से लोग परेशान हैं। सबसे ज्यादा दिक्कत किसानों को हो रही है। नलकूप न चलने से फसलें सूख रही हैं, वहीं खाली खेतों का पलेवा भी नहीं हो पा रहा है। किसानों में विद्युत विभाग के खिलाफ काफी आक्रोश है।
उत्तर प्रदेश शासन ने बिजली संकट को देखते हुए रोस्टर के अनुसार आपूर्ति करने के आदेश दिए हैं। बावजूद इसके विभागीय अधिकारियों पर इसका असर देखने को नहीं मिल रहा है। अघोषित बिजली कटौती से शहर से लेकर ग्रामीण अंचल तक हाहाकार मचा हुआ है। शहर में जहां थोड़ी-थोड़ी देर पर ट्रिपिंग से विद्युत उपकरण फुंक रहे हैं, वहीं ग्रामीण अंचलों में फसलों की सिंचाई बाधित हो रही है। ग्रामीण इलाके में कहीं तार टूटने की वजह से बिजली ठप रहती है तो कहीं ट्रांसफार्मर फुंकने से।
तमाम शिकायतों के बावजूद कोई पुरसाहाल नहीं लिया जा रहा। जिससे भीषण गर्मी से लोग हलाकान हो रहे हैं। विभागीय अधिकारियों के प्रति ग्रामीणों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है, जो कभी भी फूट सकता है। ग्रामीणों का आरोप है कि विद्युत समस्या के लिए जब कभी अधिकारियों के सरकारी नम्बर पर बात करने का प्रयास किया जाता है तो वह या तो उठता नहीं है या फिर नॉट रीचेबल बताता है। ऐसे में समस्या के समाधान के लिए उन्हें पॉवर हाउस की बार-बार दौड़ लगानी पड़ती है, लेकिन वहां भी केवल आश्वासन देकर वापस कर दिया जाता है।
24 घंटे तक बिजली की कटौती
सीतापुर जिले के जिला मुख्यालय से महज 10 किमी की दूरी पर स्थिति ढेढूराई गांव में बिजली की आंख मिचौली इस कदर हो रही है कि पूरी-पूरी रात बिजली कटौती विभाग के द्वारा कर दी जा रही है। गुरुवार को तो पूरे 24 घंटे बिजली की आपूर्ति गांव में नहीं रही। लोग काफी परेशान है घंटों कटौती की जा रही है। संबंधित बिजली विभाग के अधिकारियों से बात करने के बावजूद भी कोई फर्क पड़ता नहीं है। आस-पास के गांवों में भी बिजली की आवाजाही से लोग परेशान हो गए है।
सिंचाई के अभाव में सूख रही गन्ने की फसल
जानकारी के अनुसार, तेजी से बढ़ रहा बिजली संकट किसानों के लिए सिरदर्द बन गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में पांच से छह घंटे ही बिजली मिल रही है, उसमें भी लो वोल्टेज की समस्या बनी रहती है, जिससे ट्यूबवेल नहीं चल पाते हैं। ऐसे में फसलों की सिंचाई बाधित हो रही है। भीषण गर्मी में फसलें खेतों में सूख रही रही हैं।
धान की बेड लगाने में संकट
जिले में गेहूं की फसल कट चुकी है, जिससे खेत खाली हो गए हैं। किसान धान की फसल लगाने की तैयारी में जुट गया है। लेकिन इसमें बिजली आपूर्ति बाधा बन रही है। बिजली कटौती से कास्तकारों के ट्यूबवेल बंद है। जिससे धान की बेड तैयार करने में दिक्कत आ रही है। किसान संजीत व राजेश कुमार का कहना है कि अगर इसी तरह बिजली कटौती होती रही तो धान की फसल पिछड़ जाएगी।
ढेढूराई, मुंशीपुरवा व धरैचा समेत क्षेत्र के कई गांवों के किसान विद्युत आपूर्ति बाधित होने के कारण राज्य सरकार से काफी आक्रोशित है। किसानों व ग्रामीणों का कहना है कि सरकारी फीस भरके अपने-अपने खेतों में ट्रांसफार्मर व सब्मर्सिबल लगवाया। लेकिन विद्युत विभाग के लाइनमैन व जेई की मनमानी की वजह से पूरे क्षेत्र में आपूर्ति बाधित है। कई बार शिकायत करने के बावजूद समस्या जस की तस है।
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