उत्तर प्रदेश. विधानसभा चुनाव के बाद, अब विधान परिषद चुनाव को लेकर घमासान तेज हो गया हैं। अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी (सपा) ने टिकट देना शुरू कर दिया है। अपने एमएलसी प्रत्याशियों की लिस्ट भी जारी कर चुके है। वहीं मेंबर ऑफ लेजिस्लेटिव काउंसिल चुनाव के लिए भाजपा ने भी शनिवार को अपने 30 प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है।
21 मार्च तक होगा नामांकन 9 को वोटिंग
स्थानीय प्राधिकारी निर्वाचन क्षेत्रों से विधान परिषद निर्वाचन 2022 के द्विवार्षिक चुनाव के लिए निर्वाचन आयोग द्वारा नामांकन की तिथि को आगे बढ़ाया गया है। निर्वाचन आयोग द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार आवेदक नामांकन के लिए 19 मार्च के स्थान पर 21 मार्च तक नामांकन कर सकेंगे। अब 22 मार्च को नामांकन पत्रों की जांच और 24 मार्च तक नाम वापसी की जा सकती है। विधान परिषद चुनाव के पहले चरण में 30 और दूसरे चरण में 6 सीटों पर चुनाव है। वोटिंग 9 अप्रैल और काउटिंग 12 अप्रैल को होगी।
सपा के पास फिलहाल है बहुमत
उत्तर प्रदेश विधान परिषद में कुल 100 सदस्य हैं, जिनमें बहुमत के लिए 51 का आंकड़ा चाहिए। उच्च सदन में 48 सीटों के साथ सपा बहुमत में है। जबकि बीजेपी के पास 36 सदस्य हैं। हालांकि, विधानसभा चुनाव के दौरान सपा के 8 सदस्यों ने बीजेपी का दामन थाम लिया था। वहीं, बसपा के एक एमएलसी भी बीजेपी में पहुंच गए थे।
एमएलसी की पूरी प्रक्रिया
दरअसल, अधिकतर राज्यों में सिर्फ विधानसभा होती है। इसका मतलब है कि इन राज्यों में एक सदनीय विधायिका है। कई राज्यों में विधानमंडल के दो सदन होते हैं, जिसमें विधानसभा और विधानपरिषद शामिल है। जिन राज्यों में द्विसदनीय विधायिका कहा जाता है। यह ठीक उसी तरह है, जैसे संसद में राज्यसभा और लोकसभा है। इसमें लोकसभा को विधानसभा माना जा सकता है, जबकि राज्यसभा की तरह विधानपरिषद है। जिस तरह लोकसभा के सदस्य सीधे जनता द्वारा चुने जाते हैं, वैसा ही विधानसभा के साथ होता है। इसके उलट जिस तरह राज्यसभा सदस्य सीधे जनता द्वारा नहीं बल्कि जनप्रतिनिधियों द्वारा चुने जाते हैं, वैसे ही विधानपरिषद के सदस्य सीधे नहीं चुने जाते हैं। विधानसभा को निचला सदन या लोकप्रिय सदन कहा जाता है और विधानपरिषद को उच्च सदन कहते हैं।
कैसे होता है चयन?
वैसे तो एमएलसी सदस्यों का चयन भी वोटिंग के जरिए होता है. लेकिन, मतदान की इस प्रक्रिया में आम जनता हिस्सा नहीं लेती हैं. वहीं, इस प्रक्रिया में जनता द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधियों द्वारा एमएलसी सदस्यों का चयन किया जाता है. एमएलसी चुनाव में विधायकों के साथ ही स्थानीय निकाय निर्वाचन क्षेत्र के तहत जिला पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य और नगर निगम या नगरपालिका के निर्वाचित प्रतिनिधि हिस्सा लेते हैं. इनमें कुछ उम्मीदवारों का चयन विधायक और कुछ उम्मीदवारों का चयन 38 सदस्यों को विधायक चुनते हैं. वहीं 36 सदस्यों को स्थानीय निकाय निर्वाचन क्षेत्र के तहत की ओर से किया जाता है.
क्या है सीटों का गणित?
विधान परिषद में एक निश्चित संख्या तक सदस्य होते हैं। विधानसभा के एक तिहाई से ज्यादा सदस्य विधान परिषद में नहीं होने चाहिए। जैसे मान लीजिए यूपी में 403 विधानसभा सदस्य हैं तो यूपी विधान परिषद में 134 से ज्यादा सदस्य नहीं हो सकते हैं। इसके अलावा विधान परिषद में कम से कम 40 सदस्य होना जरूरी है। बता दें कि उत्तर प्रदेश विधान परिषद में 100 सीटें हैं और एमएलसी का दर्जा विधायक के ही बराबर होता है।
एमएलसी भारत के सभी राज्यों में नहीं है, तो जानते हैं कि यह कहां-कहां है। साथ ही भी जानते हैं कि एमएलसी सदस्यों का चयन कैसे होता है, और इनकी वोटिंग की क्या प्रक्रिया है। दरअसल, जिस तरह संसद में राज्यसभा होती है। ठीक उसी तरह प्रदेश में एमएलसी की नियुक्ति होती है।
कहां-कहां है विधानपरिषद?
देश में 6 राज्यों में ही विधान परिषद हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में विधान परिषद अस्तित्व में है। विधान परिषद के सदस्य का कार्यकाल 6 साल के लिए होता है। चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम 30 साल उम्र होनी चाहिए। यूपी में विधान परिषद के 100 में से 38 सदस्यों को विधायक चुनते हैं। वहीं 36 सदस्यों को स्थानीय निकाय निर्वाचन क्षेत्र के तहत जिला पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य और नगर निगम या नगरपालिका के निर्वाचित प्रतिनिधि चुनते हैं। 10 मनोनीत सदस्यों को राज्यपाल नॉमिनेट करते हैं। इसके अलावा 8-8 सीटें शिक्षक निर्वाचन और स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के तहत आती हैं।
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