नेशनल डेस्क. देश के गांवों में अब ऐसी भी गरीबी नहीं है कि पूरे गांव में एक भी मकान बिना पक्की छत के न हो. लेकिन, एक ऐसा गांव है जहां लोग किसी अनिष्ट की आशंका से अपने मकान को टीन, शेड या खपरैल का उपयोग कर लेंगे, पर पक्का छत नहीं बनवाते. अब पीएम आवास के कारण पेंच फंस गया है. अनिवार्यता होने पर अफसरों ने दबाव डाला. तब हितग्राहियों ने भी कह दिया कि टीन की छत लगवाने दें. अलग नहीं, तो खुला ही रहने दें, हमें मंजूर है.
बता दें कि ये मामला मध्य प्रदेश के विदिशा जिले का है. यहां काफ नाम का गांव है जो विदिशा शहर से महज 20 किलोमीटर दूर है. गांव में 100 से ज्यादा मकान होंगे. किसी में खपरैल से छत बनाई गई है तो कहीं टीन तो कहीं एस्बेसटर शीट का उपयोग किया गया है. पैसे के मामले में भी ये पीछे नहीं हैं, इसीलिए मकानों में दीवार पर सीमेंट की छबाई कराने के साथ ही उनमें कलाकारी भी नजर आती है. बस, पक्की छत कहीं नहीं दिखती.
>60 साल में किसी ने नहीं बनवाया
इस गांव में 60 साल से भी अधिक उम्र के लोग ऐसे हैं, जिन्होंने पहले भी कभी गांव में किसी को पक्की छत बनवाते नहीं देखा है. हां, किसी ने कोशिश जरूर की, लेकिन बाद में उन्होंने खुद तोड़ दिया. कारण ये कि उनके साथ बुरी घटनाएं होने लगीं और फिर अपना फैसला बदल दिया.
पीएम आवास को लेकर विवाद
प्रधानमंत्री आवास योजना गरीबों को पक्का मकान दिलवाने की योजना है. लाेग एक पक्के मकान के लिए क्या कुछ नहीं करते. अपनी जमा पूंजी लगा देते हैं. लेकिन, ये एक गांव ऐसा है, जहां 51 लोगों का पीएम आवास स्वीकृत हुआ है. कई का मकान तैयार है. अब छत ढलाई के लिए भी किस्त जारी हो चुकी है. लेकिन, लोग इससे साफ इनकार कर रहे हैं. कह रहे हैं कि टीन या शेड लगवाने दें. अफसर भी नहीं मान रहे हैं. तब वे कह रहे हैं कि आप चाहें तो मकान को इसी स्थिति में छोड़ दें, हमें कोई ऐतराज नहीं है.
ये बताया कारण
गांव के कुछ लोगों ने बताया कि यहां स्कूल भवन ही पक्का है. इसके अलावा शुरुआती दौर में कुछ लोगों ने पक्का मकान बनवाया तो किसी का बेटा मर गया तो कोई हादसे का शिकार हो गया. इसके बाद से लोगों ने पक्का मकान बनवाने का सोचा ही नहीं. हालांकि बीच-बीच में कुछ और लोगों ने भी आजमाने की सोची, लेकिन फिर उनके साथ भी दिक्कतें आने लगीं. अब कोई भी व्यक्ति पक्का मकान बनवाता ही नहीं है. हालांकि सरकार की ओर से अब कोशिश की जा रही है कि उन्हें समझाया जाए कि ये सब अंधविश्वास है. देखने वाली बात है कि उनकी पहल रंग लाती भी है या नहीं.
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