बाराबंकी। नगर पंचायत सतरिख में अवैध नियुक्तियां करके जहां शासनादेश का उल्लंघन किया गया है। वहीं नगर पंचायत अध्यक्ष मुमताज बेगम और जिया उल हक अधिशासी अधिकारी नगर पंचायत सतरिख में सरकारी धन का भी दुरुपयोग किया है। मामले की शिकायत शासन में एडवोकेट अंबुज कुमार के द्वारा 16 नवंबर 2020 को की गई थी। शासन स्तर पर DM बाराबंकी से इस मामले में रिपोर्ट मांगी गई, लेकिन अभी तक उनकी तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
जिला प्रशासन नहीं कर रहा कार्रवाई
शिकायतकर्ता ने मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में 23 जुलाई 2021 को एक जनहित याचिका दायर करते हुए इस मामले में कार्रवाई की मांग की। कोर्ट ने इस मामले में जब काउंटर मांगा, तब जाके जिला प्रशासन हरकत में आया। जिला प्रशासन ने तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन कर दिया। जिसमें सीडीओ सहित अन्य दो अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी गई। इस रिपोर्ट में यह स्पष्ट है कि जितनी भी शिकायतें शिकायतकर्ता के द्वारा की गई थी, वह सारी शिकायतें सही है।
शिकायतकर्ता का यह भी आरोप है कि, नगर पंचायत अध्यक्ष मुमताज बेगम व अधिशासी अधिकारी जियाउल हक ने करीब 10 लाख अपने पर्सनल अकाउंट में निकाल लिए थे, जोकि पूरी तरीके से नियम विरुद्ध है और अभी तक जिला स्तर से कोई भी कार्रवाई नहीं की गई है। उनका यह भी आरोप है कि कोई भी FIR तक दर्ज नहीं कराई गई है।
शासन की जीरो टॉलरेंस नीति पर उठी उंगली
फिलहाल, अब जिला प्रशासन के द्वारा अपना जवाब हाईकोर्ट में भेजा गया है जो कि पहले ही शासन को भेजा जा चुका था। वहीं शासन स्तर पर यह रिपोर्ट 23 दिसंबर 2021 से लंबित है और नगर विकास विभाग को भेजी गई रिपोर्ट में जिलाधिकारी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि इस मामले में अनियमितता की गई है। बावजूद इसके शासन के अधिकारियों को अभी तक इस मामले में कार्रवाई नहीं की है। जब कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के द्वारा अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि कोई भी फाइल बहुत दिनों तक शासन में ना रुकी जाए। अब इस तरीके से अगर शासन के अधिकारियों का करप्शन के मामले साबित हो जाने पर भी कार्रवाई नहीं की जाती है तो सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति कैसे सफल होगी।
कब क्या हुआ
इस पूरे मामले की 16 नवंबर 2020 को शिकायतकर्ता अम्बुज कुमार ने नगर पंचायत सतरिख में हुए भ्रष्ट्राचार की शिकायत राज्य शासन को लिखित में की थी। 13 जुलाई 2021 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की बेंच लखनऊ में उनके द्वारा एक जनहित याचिका दायर की गई। जिसके बाद 23 दिसंबर 2021को जिलाधिकारी बाराबंकी ने नगर विकास विभाग को अपनी रिपोर्ट भेजी है।
(इनपुट अनिरुद्ध शुक्ला)
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