डेस्क. 12 साल की नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में उत्तराखंड के हल्द्वानी मे पॉक्सो कोर्ट ने बड़ा व ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. पहला तो ये कि आरोपी भी नाबालिग है, जिसे 20 साल कैद की सजा दी गई है. वहीं बयान के दौरान गवाह मुकर गए. लेकिन, कोर्ट ने स्ट्रॉन्ग मेडिकल एविडेंस की बीना पर कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है.
बता दें कि आरोपी ने जिस समय रेप की घटना को अंजाम दिया था, तब उसकी आयु 17 साल थी. लेकिन, दिल्ली के निर्भया केस के बाद यौन अपराधों से जुड़े कानूनों में बड़ा बदलाव किया गया है. दरअसल, जूवेनाइल जस्टिस एक्ट 2015 में इस तरह के गंभीर व जघन्य अपराधों के मामले में 16 वर्ष से अधिक आयु के नाबालिगों को भी बड़ी सजा दिए जाने का प्रावधान किया गया है. इसमें ऐसे जघन्य अपराधों में आजीवन कारावास और फांसी की सजा को छोड़ अन्य तरह की कोई भी दी जा सकने वाली सजा देना संभव हुआ है. कोर्ट ने इन्हीं तथ्यों को ध्यान में रखते हुए नाबालिग को 20 साल की सजा सुनाई है.
डॉक्टर की रिपोर्ट ने निभाई बड़ी भूमिका
बता दें कि वारदात को वर्ष 2019 में अंजाम दिया गया था. करीब 4 सालों की लंबी बहस के बाद पोक्सो कोर्ट ने फैसला सुनाया. खास ये कि इस केस के गवाह कोर्ट में अपनी गवाही से ही मुकर गए.लेकिन, इसमें सरकारी अस्पताल की एक स्ट्रांग मेडिकल रिपोर्ट बड़ी मददगार साबित हुई. सरकारी वकील नवीन चंद्र जोशी का कहना है कि पूरे मामले में डॉ. अनुपमा हयांकी द्वारा तैयार मेडिकल रिपोर्ट ने अहम भूमिका निभाई. इसमें स्पष्ट किया गया था कि 12 साल की बच्ची के साथ रेप हुआ है. लिहाजा कोर्ट ने गवाहों के मुकरने के बाद भी फैसला आरोपी के खिलाफ गया और ऐतिहासिक हो गया.
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