बाराबंकी। उत्तर प्रदेश के अधिवक्ता परिषद ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की कार्यपद्धति में सुधार की मांग को लेकर जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति व सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को ज्ञापन सौंपा है।
ज्ञापन में कहा गया है कि, हायर ज्यूडिशियरी, हाई कोर्ट/सुप्रीम कोर्ट की एकाउंटबेल्टी भी नियत की जानी चाहिए। यही नहीं हाई कोर्ट वा सुप्रीम कोर्ट की कार्यपद्धति में व्यापक सुधार की आवश्यकता आ गई है। अधिवक्ता परिषद के जिलाध्यक्ष कौशल किशोर त्रिपाठी ने बताया कि, उच्च न्यायिक सेवा का कंपटीशन पास करने वाले जो लोग अपर जिला जज / जिला जज जैसे पदों का दायित्व निभाते हैं, उन्हें 60 साल की उम्र में सेवामुक्त किया जाता है। जब कि हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति को 62 वर्ष में रिटायर किया जाता है। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति को 65 साल में रिटायर्ड किया जाता है। यह विसंगतियां दूर करने की जरूरत है।
वरिष्ट अधिवक्ता संतोष सिंह ने कहा कि, रिटायरमेंट का मानक समान होना चाहिए। उन्होंने कहा कि, अगर यह मानक है कि 60 वर्ष में सेवा से रिटायर होना जरूरी है तो 62 व 65 वर्ष तक की आयु के लोगों से काम लेना कहां तक जायज है। इन सब बातों की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। वहीं, अधिवक्ता परिषद के वरिष्ट उपाध्यक्ष राकेश शर्मा ने कहा कि हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के न्यायुमूर्तिगण को अपनी-अपनी आय की प्रतिवर्ष घोषणा करनी चाहिए। अधिवक्ता परिषद के महामंत्री सचिन प्रताप सिंह ने कहा कि, मनमानी कॉलेजियम व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता है।
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