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खरगोश और कछुए की कहानी इस युवक ने दोहराई और गंवा बैठा नौकरी का चांस, जानें पूरा मामला

 Newsbaji  |  Mar 29, 2023 06:49 PM  | 
Last Updated : Mar 29, 2023 07:04 PM
खरगोश और कछुए की कहानी की तरह अति आत्मविश्वास मे नौकरी की रेस हार गया युवक.
खरगोश और कछुए की कहानी की तरह अति आत्मविश्वास मे नौकरी की रेस हार गया युवक.

डेस्क. बचपन में आप सभी ने खरगोश और कछुए की रेस की कहानी जरूर पढ़ी होगी. इसमें खरगोश रेस में आगे निकलकर सुस्ताने के लिए बैठता है और सो जाता है. रेस कछुआ जीत जाता है, खरगोश हार जाता है. हकीकत में ये घटना मध्यप्रदेश के खंडवा में सामने आई है. यहां वनरक्षक भर्ती परीक्षा में 25 किलोमीटर पैदल चाल में युवक बाकी प्रतिभागियों से काफी आगे निकल गया तो सुस्ताने बैठा और फिर रेस फिनिश भी नहीं कर पाया. इस तरह वह नौकरी के चांस से भी हाथ धो बैठा.

बता दें कि मध्यप्रदेश वन विभाग के खंडवा वन संभाग में 38 वनरक्षक के पदों के लिए भर्ती होनी है. इसके तहत बीते मंगलवार को आदिवासी वर्ग के युवाओं के लिए वनरक्षक की शारीरिक परीक्षा रखी गई थी. इसमें कुल 63 युवा शामिल होने के लिए पहुंचे थे. पैदल चाल की शुरुआत सिविल लाइन में केंद्रीय विद्यालय के सामने से सुबह छह बजे से हुई. सभी को चार घंटे में 25 किलोमीटर की दूरी तय करनी थी.

दौड़कर तय किया 21 किलोमीटर की दूरी, 4 किमी के लिए मात
पैदल चाल में शामिल उम्मीदवार पहाड़ सिंह को 25 किलोमीटर की दूरी बेहद आसान लगी. फिर क्या था, चलने के बजाय वह दौड़ने लगा. वह बाकी उम्मीदवारों को काफी पीछे छोड़ते हुए आगे निकल गया. इस तरह 21 किलोमीटर की दूरी तय कर ली थी. लेकिन, लंबी दूरी तक दौड़ने के चलते उसके पांव में छाले हो गए थे. ऐसे में राहत पाने के लिए और सुस्ताने को वह एक जगह लेट गया. लेकिन, इसी दौरान उसे नींद आ गई. वह गहरी नींद में सो गया.

शेष 62 ने किया पास, फिर शुरू हुई तलाश
बता दें कि कुल 63 में से पहाड़ सिंह को छोड़कर बाकी 62 उम्मीदवारों ने ये दूरी तय कर ली और पैदल चाल की परीक्षा पास कर ली. इसमें 54 युवक व नौ युवतियां थीं. लेकिन, वन अफसरों ने उम्मीदवारों की गिनती की तो एक कम मिला. ऐसे में उसकी तलाश शुरू की गई. कुछ देर की तलाश में उन्हें पहाड़ सिंह सोता हुआ मिल गया.

अति आत्मविश्वास में गंवाया मौका


पहाड़ सिंह ने बाद में मीडिया से चर्चा में बताया कि वह पिछले कई सालों से आर्मी की तैयारी कर रहा है. ऐसे में उसे लंबी दूरियां दौड़कर तय करने में ज्यादा दिक्कत नहीं होती. ऐसे में पैदल चाल को लेकर वह पूरी तरह से आश्वस्त था. लेकिन, इसी आत्मविश्वास के चलते उसने वनरक्षक की नौकरी के चांस को खो दिया. इस संबंध में एसडीओ फारेस्ट खंडवा विनोद वर्मा ने भी इस मामले की पुष्टि की है और बताया है कि युवक के रास्ते में सो जाने के कारण वह पैदल चाल को क्लियर नहीं कर पाया.

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