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हिजाब इस्लाम का हिस्सा नहीं, कर्नाटक हाई कोर्ट की फुल बेंच ने सुनाया फैसला

 Newsbaji  |  Mar 15, 2022 01:57 PM  | 
Last Updated : Jan 06, 2023 10:18 AM

बेंगलुरु, हिजाब विवाद मामले में कर्नाटक हाई कोर्ट की फुल बेंच ने अपना फैसला सुना दिया है। हाई कोर्ट ने कहा है कि हिजाब इस्लाम का हिस्सा नहीं है। उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थान इस तरह के पहनावे और हिजाब पर बैन लगा सकते हैं। अपने आदेश के साथ ही हाई कोर्ट में हिजाब की अनुमति मांगने वाली सभी याचिकाएं को खारिज कर दिया है।
हाई कोर्ट की फुल बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा हिजाब पहनना इस्लाम में जरूरी हिस्सा नहीं है। बेंच ने मुस्लिम संगठनों और छात्रों की याचिका खारिज करते हुए कहा कि हिजाब पहनना जरूरी नहीं है। शिक्षण संस्थान क्लास में हिजाब पहनने पर बैन लगा सकते हैं।


हिजाब विवाद में कर्नाटक हाई कोर्ट का फैसला
हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि, क्लास रूम के अंदर कोड ऑफ कंडक्ट जरूरी है। क्लास रूम के बाहर चाहे जो छात्र जो कोई ड्रेस पहने लेकिन क्लास रूम में स्कूल-कॉलेज के ड्रेस कोड को मान्यता दी जाए। स्कूल और कॉलेज को अपनी ड्रेस कोड तय करने का अधिकार है।


तीन सवालों के जवाब देते हुए हाई कोर्ट ने सुनाया फैसला
कोर्ट ने तीन सवाल पूछे और फिर उनके जवाब दिए। कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम महिलाओं का हिजाब पहनना इस्‍लाम में जरूरी धार्मिक रिवाज नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि स्‍कूल यूनिफॉर्म तय करने पर स्‍टूडेंट्स आपत्ति नहीं जता सकते। साथ ही कहा कि सरकार के पास आदेश जारी करने की शक्ति है।


15 दिनों तक चली हाई कोर्ट में सुनवाई
शिक्षण संस्थानों में हिजाब को लेकर हाई कोर्ट पहुंचे इस विवाद पर फुल बेंच ने 15 से अधिक दिनों तक सुनवाई की और दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद पिछले हफ्ते फैसला सुरक्षित रख लिया था। इधर मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए राज्य सरकार ने कर्नाटक के जिलों में धारा 144 लागू कर दी है, जो इलाके सबसे ज्यादा संवेदनशील हैं, वहां के शिक्षण संस्थानों के बंद रखने का फैसला लिया गया है।


कहां से शुरु हुआ था विवाद
हिजाब का विवाद उडुपी के एक कॉलेज से उठा था। गवर्नमेंट प्री कॉलेज में छात्राओं को स्कूल में हिजाब पहना अलाउ था। लेकिन क्लास के अंदर हिजाब बैन था। पिछले साल दिसंबर में कॉलेज की छह छात्राओं ने कक्षा के अंदर हिजाब पहनकर जाने का प्रयास किया था। उन्हें रोका गया, लेकिन छात्राएं अड़ गईं। उसके बाद वह कॉलेज के बाहर धरने पर बैठ गईं और उसके बाद विवाद में तूल पकड़ता गया। कॉलेज के अंदर का यह प्रदर्शन अन्य जिलों से होते हुए और देश के अन्य राज्यों तक फैल गया।


केस में सुनवाई के कुछ तथ्य

  • 25 फरवरी को, 10 फरवरी को शुरू हुई मैराथन सुनवाई के बाद, अदालत ने मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
  • उडुपी और कुंडापुरा कॉलेजों के छात्रों ने ज्यादातर याचिकाएं दायर की हैं। दो जनहित याचिकाएं भी दाखिल की गईं।
  • याचिकाकर्ताओं ने दलील दी थी कि हिजाब पहनना जरूरी है और राज्य सरकार की कार्रवाई धर्म के आधार पर शत्रुतापूर्ण भेदभाव है।
  • याचिकाकर्ताओं ने आगे तर्क दिया कि मुस्लिम लड़कियां कम से कम शिक्षित हैं और कक्षाओं में कम प्रतिनिधित्व करती हैं और अगर उन्हें इस तरह से बंद कर दिया जाता है, तो यह उनकी शिक्षा को प्रभावित करेगा।

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