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सावधान! लखनऊ में लावारिस कुत्तों का आतंक, मासूम भाई-बहन पर किया हमला, एक की मौत

 Newsbaji  |  Apr 07, 2022 12:38 PM  | 
Last Updated : Jan 06, 2023 10:18 AM

लखनऊ। राजधानी के ठाकुरगंज इलाके में आदमखोर कुत्तों के आतंक से क्षेत्र के लोगों में दहशत का माहौल है। बुधवार को आवारा कुत्तों के झुण्ड ने दो मासूम भाई बहन पर हमला बोल दिया। कुत्तों के हमले में छह साल के मासूम रजा की मौत हो गई, जबकि उसकी सात साल की बहन जन्नत फातिमा बुरी तरह से घायल है, जिसका इलाज ट्रामा सेंटर में चल रहा है।

नगर निगम बना निरंकुश
हालात यह है कि राजधानी कुत्तों के खौफ दहल रही है। बुधवार को ठाकुरगंज इलाके मुसाबिहगंज में बुधवार शाम को जन्नत फातिमा व उसका भाई मोहल्ले में स्थित नगर निगम प्राथमिक विद्यालय में खेल रहे थे। इस बीच तीन-चार कुत्तों ने दोनों पर हमला बोल दिया। दोनों को नोचने लगे। कभी हाथ, कभी पैर तो कभी पेट में नोच रहे थे। चीख-पुकार सुनकर स्थानीय लोग लाठी-डंडें लेकर दौड़े। उन्होंने किसी तरह कुत्तों को मार कर भगाया और उनके चंगुल से बच्चों को छुड़ाया। जहां, रजा को डाक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। जबकि जन्नत फातिमा की हालत गंभीर बताई जा रही है। घटना से पूरे इलाके में आक्रोश है। लोगों का कहना है कि पूरे इलाके में लंबे समय से कुत्तों का आतंक है। नगर निगम में कई बार शिकायत की गई, लेकिन वहां सुनवाई नहीं हो रही है।

बता दे कि, घटना के बाद नगर निगम के खिलाफ लोगों ने आक्रोश व्यक्त करते हुए नारेबाजी की। इस बीच सूचना पर इंस्पेक्टर ठाकुरगंज हरिशंकर चंद पहुंचे लोगों को समझा-बुझाकर शांत कराया। इसके बाद शबाब रजा ने परिवारीजन के साथ क्षेत्र स्थित कब्रिस्तान में बेटे का अंतिम संस्कार पुलिस की मौजूदगी में कराया गया।

रात को घर से निकला हुआ दूभर
स्थानीय लोगों ने बताते कि, रात में इन कुत्तों के आतंक के कारण मोहल्ले वालों का घर के बाहर निकलना मुश्किल है। रात के समय लोगों को देखते ही यह दौड़ा लेते हैं। अकसर लोग इनके दौड़ाने पर गिरकर चोट का चुके है। कई बार नगर निगम में शिकायत भी की गई पर सुनवाई नहीं हो रही है। सरकार से उम्मीद है कि कुछ मेरी भी तकलीफ को सुनें हम सभी इलाके के लोग कुत्तों के आतंक से बहुत परेशान हो गए है।

रोजाना 80-90 लोग रोजना हो रहे शिकार
नगर निगम के संयुक्त निदेशक पशु कल्याण अरविंद राव का कहना है कि, मौजूदा समय में राजधानी में 35000 के करीब आवारा कुत्ते हैं। दो साल पहले यह संख्या 70 हजार के करीब थी। लेकिन करीब 35000 कुत्तों का बंध्याकरण किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि राजधानी में 7 गाड़ियां रोजाना कुत्तों को पकड़ने के लिए तैनात रहती है। 80-90 कुत्तों की रोजाना नसबंदी हो रही है। इसके अलावा, अगर अस्पतालों के रिपोर्ट की बात करें तो राजधानी में रोजाना 80-90 ऐसे मरीज पहुंच रहे हैं, जिन्हें कुत्ते काटते है।

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