नई दिल्ली। दिल्ली में सांस लेना मुश्किल हो रहा है। दरअसल, हवा में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ गया है। गुरुवार शाम को दिल्ली-NCR में AQI 400 के पार हो गया। आज दिल्ली का AQI 450 के करीब रहने की आशंका जताई जा रही है, वहीं नोएडा में यह 500 के पार जा सकता है। बढ़ते प्रदूषण के चलते नोएडा में 8वीं क्लास तक की स्कूलों को ऑनलाइन चलाने के निर्देश जारी कर दिए गए है। साथ ही 9वीं से 12वीं तक की कक्षाओं को भी ऑनलाइन चलाने का आदेश हो गया है।
केंद्रीय पैनल वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने दिल्ली-NCR में डीजल के चार पहिया वाहनों, ट्रकों की दिल्ली में एंट्री पर रोक लगाने के निर्देश दे दिए हैं। आपातकालीन सेवाओं में लगे वाहनों को इससे छूट दी गई है। इसके साथ ही कमर्शियल निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी गई है।
प्रदूषण बढ़ने से अस्पतालों की ओपीडी में सांस के मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है। पहले ओपीडी में हर रोज 20-25 सांस के मरीज आते थे, यह संख्या अब बढ़कर 70-75 हो गई है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने दिल्ली सरकार से स्कूलों को बंद करने का अनुरोध किया है।
प्रदूषण बढ़ने का कारण
जानकार बताते है कि, हवा में नमी बढ़ने के साथ ही इसकी गति धीमी हुई। धूल के कण बढ़े। कोहरा और धुंध छाने से प्रदूषण कण नमी के चलते ऊपर नहीं जा पाते। साथ ही पंजाब और हरियाणा में किसानों ने खेतों में पराली जलाने की घटनाओं में अचानक वृद्धि हुई है। इसके अलावा रोक के बावजूद भी लोगों ने इस बार दिवाली में पटाखे ज्यादा जलाए।
प्रदूषित हवा से कई गम्भीर परेशानियां
जानकारी के मुताबिक, प्रदूषित हवा से सिर्फ सांस संबंधी बीमारियां ही नहीं बल्कि हार्ट और ब्रेन स्ट्रोक के साथ ही गर्भपात का भी खतरा बढ़ जाता है। दिल्ली एम्स के पूर्व निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया बताते है कि, द लैंसेट की स्टडी बताती है कि वायु प्रदूषण बेहद खराब श्रेणी में होने से गर्भवती के सांस लेने का असर भ्रूण पर होता है। इससे भ्रूण का विकास कम होता है, लिहाजा गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है।
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