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नए मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना को जानें, ये हैं उनके उल्लेखनीय फैसले

 Newsbaji  |  Nov 10, 2024 12:05 PM  | 
Last Updated : Nov 10, 2024 12:05 PM
जस्टिस संजीव खन्ना नए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बनने जा रहे हैं.
जस्टिस संजीव खन्ना नए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बनने जा रहे हैं.

नेशनल डेस्क. जस्टिस संजीव खन्ना 11 नवंबर को अगले चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बनने जा रहे हैं. वे भारतीय न्यायिक व्यवस्था का एक जाना-माना चेहरा हैं. अपने लंबे करियर में उन्होंने कई ऐतिहासिक फैसले सुनाए हैं जो देश की न्यायपालिका में एक मील का पत्थर साबित हुए हैं. 14 मई 1960 को जन्मे जस्टिस खन्ना ने 1983 में अपने करियर की शुरुआत दिल्ली बार काउंसिल में एक वकील के रूप में की. बाद में उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट में न्यायाधीश के रूप में भी अपनी सेवाएं दीं और जनवरी 2019 से सर्वोच्च न्यायालय में जज रहे हैं. अब वे भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश बने हैं, जो कि एक ऐतिहासिक क्षण है.

जस्टिस संजीव खन्ना की जीवनी: प्रारंभिक जीवन
जन्म व पारिवारिक पृष्ठभूमि

  • जन्म तिथि: जस्टिस संजीव खन्ना का जन्म 14 मई 1960 को हुआ था. नई दिल्ली में उनका जन्म हुआ था.
  • पिता का नाम: उनके पिता का नाम न्यायमूर्ति देव राज खन्ना है. वे दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रहे हैं और 1985 में सेवानिवृत्त हुए थे.
  • माता का नाम: उनकी माता का नाम सरोज खन्ना है. वे दिल्ली के लेडी श्री राम कॉलेज में हिंदी व्याख्याता थीं.
  • पारिवारिक स्थिति: जस्टिस संजीव खन्ना सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति हंस राज खन्ना के भतीजे हैं. न्यायमूर्ति हंस राज खन्ना भारतीय संविधान के मूल ढांचे के सिद्धांत के लिए जाने जाते हैं.

जस्टिस संजीव खन्ना की शिक्षा
प्रारंभिक शिक्षा

जस्टिस संजीव खन्ना ने अपनी स्कूली शिक्षा दिल्ली के प्रतिष्ठित मॉडर्न स्कूल से 1977 में पूरी की. इस स्कूल में पढ़ाई ने उन्हें मजबूत बौद्धिक आधार प्रदान किया और अकादमिक अनुशासन की आदतें विकसित कीं, जो उनके बाद के करियर में सहायक सिद्ध हुईं. मॉडर्न स्कूल में अपने शुरुआती वर्षों के दौरान उन्होंने अनेक शैक्षिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में भी भाग लिया, जिससे उनकी व्यक्तिगत और शैक्षिक क्षमताओं को बढ़ावा मिला.

स्नातक शिक्षा
स्कूल की पढ़ाई के बाद, जस्टिस खन्ना ने सेंट स्टीफन कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से 1980 में स्नातक की डिग्री प्राप्त की. यहाँ वे उच्च शैक्षिक गुणवत्ता और गहन अध्ययन के लिए जाने जाते थे. सेंट स्टीफन कॉलेज में उनका अनुभव अकादमिक उत्कृष्टता के साथ जुड़ा हुआ था, जिसने उनके कानून के क्षेत्र में जाने के निर्णय को और दृढ़ता प्रदान की.

कानूनी शिक्षा
अपनी स्नातक शिक्षा के बाद, जस्टिस खन्ना ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कैंपस लॉ सेंटर से एलएल.बी. की डिग्री प्राप्त की. यह केंद्र भारत में कानून की पढ़ाई के लिए प्रसिद्ध है और यहाँ के पाठ्यक्रम ने उन्हें कानूनी सिद्धांतों की ठोस समझ प्रदान की. इसी दौरान उन्होंने कानून में गहरी रुचि विकसित की और 1983 में दिल्ली बार काउंसिल में अधिवक्ता के रूप में पंजीकरण कराया, जिसके बाद उनका करियर तेजी से प्रगति की ओर अग्रसर हुआ.

जस्टिस संजीव खन्ना का अधिवक्ता के रूप में प्रारंभिक कॅरियर
अधिवक्ता के रूप में संजीव खन्ना का प्रारंभिक करियर

जस्टिस संजीव खन्ना ने 1983 में दिल्ली बार काउंसिल में अधिवक्ता के तौर पर अपना पंजीकरण करवाया था. इसके साथ ही उन्होंने अधिवक्ता के रूप में अपने करियर की शुरुआत की. उन्होंने अपनी प्रारंभिक प्रैक्टिस दिल्ली के तीस हजारी अदालत में शुरू की. यह दिल्ली के प्रमुख जिला न्यायालय परिसर में से एक है.

वाणिज्यिक और कंपनी कानून में विशेषज्ञता
जस्टिस खन्ना ने अधिवक्ता के रूप में खुद को कानून के जानकार के रूप में विकसित किया. यही वजह रही कि उन्होंने वाणिज्यिक और कंपनी कानून जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञता प्राप्त की. उनके इन क्षेत्रों में गहन अनुभव ने उन्हें व्यापारिक विवादों और कंपनियों के कानूनी मसलों में एक कुशल अधिवक्ता के रूप में स्थापित किया. यह आने वाले समय में उनके करियर को संवारने में महत्वपूर्ण साबित हुआ.

अतिरिक्त लोक अभियोजक के रूप में भूमिका
दिल्ली हाई कोर्ट में जस्टिस खन्ना ने अतिरिक्त लोक अभियोजक (एपीपी) के रूप में सेवा दी, जहां उन्होंने विभिन्न आपराधिक मामलों में दिल्ली सरकार का प्रतिनिधित्व किया. उन्होंने गंभीर आपराधिक मामलों में कानूनी कार्यवाही को सफलतापूर्वक पूरा किया, जो उनकी कानूनी कुशलता और आपराधिक न्याय प्रणाली की समझ को दर्शाता है.

आयकर मामलों में योगदान
वर्ष 2005 से 2012 तक जस्टिस खन्ना आयकर विभाग के वरिष्ठ स्थायी वकील के रूप में नियुक्त रहे. इस भूमिका में उन्होंने आयकर विभाग को कराधान के महत्वपूर्ण मामलों में कानूनी सलाह दी और उसका प्रतिनिधित्व किया. टैक्स मामलों में उनकी विशेषज्ञता ने उन्हें इस क्षेत्र में एक विश्वसनीय अधिवक्ता के रूप में पहचान दिलाने में मदद की.

देश के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना का न्यायाधीश के रूप में कॅरियर
दिल्ली उच्च न्यायालय में नियुक्ति

जस्टिस संजीव खन्ना को 25 जून 2005 को दिल्ली उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया. केवल आठ महीने बाद, 20 फरवरी 2006 को उन्हें स्थायी न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया. अपने कार्यकाल में उन्होंने कई महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई की, जिसमें संवैधानिक, प्रशासनिक और आपराधिक न्याय से जुड़े मामले शामिल थे.

इसके अतिरिक्त, दिल्ली न्यायिक अकादमी और दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र में उनकी भूमिका के माध्यम से उन्होंने न्यायिक प्रशिक्षण और विवाद समाधान की प्रक्रियाओं में सुधार हेतु महत्वपूर्ण योगदान दिया. उनकी इस नियुक्ति ने उनकी न्यायिक कुशलता और निर्णय लेने की क्षमता को दर्शाया, जो बाद में सुप्रीम कोर्ट में उनके पदोन्नति में सहायक सिद्ध हुई.

सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति
18 जनवरी 2019 को जस्टिस खन्ना को भारत के सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया, जहां उनकी नियुक्ति ने उन्हें भारतीय न्यायपालिका के सर्वोच्च स्तर पर कार्य करने का अवसर प्रदान किया. सुप्रीम कोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने संवैधानिक मामलों में निर्णय सुनाए, जिनमें नागरिक स्वतंत्रता, व्यक्तिगत अधिकारों और सार्वजनिक हित से जुड़े कई बड़े मुद्दे शामिल थे. उनका विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण और निष्पक्षता की प्रतिबद्धता ने उन्हें न्यायपालिका में एक सम्मानित न्यायाधीश के रूप में स्थापित किया है.

राष्ट्रीय न्यायिक और कानूनी संगठनों में योगदान
जस्टिस संजीव खन्ना ने अपने न्यायिक करियर के दौरान विभिन्न कानूनी और न्यायिक संगठनों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. दिल्ली उच्च न्यायालय में कार्य करते हुए, वे दिल्ली न्यायिक अकादमी के प्रभारी न्यायाधीश रहे, जहां उन्होंने न्यायिक प्रशिक्षण और दक्षता में सुधार के लिए कई पहल कीं. इस भूमिका में उन्होंने न्यायाधीशों और अन्य कानूनी पेशेवरों के लिए कार्यशालाओं और सेमिनारों का आयोजन किया, जो न्यायिक प्रक्रिया और कानूनी मुद्दों की गहरी समझ विकसित करने में सहायक रहे.

इसके अलावा उन्होंने दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र (Delhi International Arbitration Centre) के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया. इस दौरान उन्होंने मध्यस्थता प्रक्रियाओं को सुगम और अधिक प्रभावी बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाए, जिससे विवाद समाधान के वैकल्पिक उपायों को बढ़ावा मिला. मध्यस्थता प्रक्रिया को समय और लागत प्रभावी बनाना उनका मुख्य उद्देश्य था.

जस्टिस खन्ना ने राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (National Legal Services Authority - NALSA) के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में सेवा दी है. इस भूमिका में वे न्याय तक समान पहुंच को प्रोत्साहित करने के लिए कार्य किया है. NALSA के अंतर्गत, उनका उद्देश्य गरीबों और वंचितों को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करना रहा है, ताकि हर व्यक्ति को न्याय प्राप्त करने का अधिकार मिल सके. उनके नेतृत्व में, NALSA ने कानूनी जागरूकता अभियानों और कानूनी सेवाओं की पहुंच में वृद्धि के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए हैं.

CJI संजीव खन्ना के उल्लेखनीय फैसले

  • चुनावी पारदर्शिता: जस्टिस संजीव खन्ना ने एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स बनाम भारतीय चुनाव आयोग मामले में वीवीपीएटी (VVPAT) सत्यापन की मांग पर फैसला सुनाया. उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों पर मतदान को सुरक्षित और पारदर्शी बनाए रखने के लिए चुनाव आयोग द्वारा उठाए गए कदमों का समर्थन किया.
  • इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम का फैसला: उन्होंने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को असंवैधानिक घोषित करते हुए महत्वपूर्ण फैसला दिया. इस फैसले में उन्होंने कहा कि इस योजना से दानदाताओं की गोपनीयता के अधिकार का उल्लंघन नहीं होना चाहिए और मतदाताओं को दानदाताओं की जानकारी होनी चाहिए.
  • अनुच्छेद 370 का निरस्तीकरण: अनुच्छेद 370 को हटाने की वैधता पर फैसला सुनाते हुए जस्टिस खन्ना ने इसे संविधान के अनुरूप बताया. उन्होंने यह स्पष्ट किया कि अनुच्छेद 370 का निरस्तीकरण भारत के संघीय ढांचे का उल्लंघन नहीं करता है.
  • महत्वपूर्ण आरटीआई फैसले: जस्टिस खन्ना ने मुख्य न्यायाधीश के कार्यालय को सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत लाने का ऐतिहासिक निर्णय सुनाया. उन्होंने कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता सूचना के अधिकार के खिलाफ नहीं है और जनता को न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता का अधिकार है.
  • मध्यस्थता और तलाक पर फैसले: संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत 'पूर्ण न्याय' के सिद्धांत को लागू करते हुए, जस्टिस खन्ना ने विवाह के अपूरणीय विघटन के आधार पर तलाक का प्रावधान प्रदान किया. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट इस प्रावधान के तहत विवाह को समाप्त करने का अधिकार रखता है, ताकि विवादित दंपतियों को न्याय मिल सके.

मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना का कार्यकाल
भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति: जस्टिस संजीव खन्ना को 11 नवंबर 2024 में भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया जाएगा. इस पद पर उनकी नियुक्ति भारतीय न्यायपालिका के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होगी, क्योंकि वे अनेक ऐतिहासिक फैसलों के लिए जाने जाते हैं. उनका कार्यकाल मात्र छह महीने का होगा.

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