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देश के जंगलों को आबाद करने के लिए लाए चीतों की ही जिंदगी हो रही बर्बाद, आज पीएम मोदी करेंगे रिव्यू

 Newsbaji  |  Jul 19, 2023 12:23 PM  | 
Last Updated : Jul 19, 2023 12:23 PM
देश में लाए चीते एक के बाद एक काल के गाल में समाते जा रहे हैं.
देश में लाए चीते एक के बाद एक काल के गाल में समाते जा रहे हैं.

नेशनल डेस्क. देश के जंगलों से समाप्त हो चुके चीतों को फिर से आबाद करने के लिए अफ्रीकी देश नामीबिया से 8 चीते लाए गए थे. आबाद होने से पहले एमपी का नेशनल पार्क कूनो उनके लिए कब्रगाह साबित हो रहा है. एक के बाद एक 8 चीतों की मौत हो चुकी है. देशभर के वन्य विशेषज्ञों और वन्यजीव प्रेमियों की चिंता बढ़ गई है. हालात ये कि आज खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीता प्रोजेक्ट से जुड़े वन अफसरों की रिव्यू मीटिंग लेने जा रहे हैं. इसमें चीतों की मौत पर रोक लगाने और पड़ताल आदि पर चर्चा की जाएगी.

बता दें कि नामीबिया से कुल 2 किस्तों में 20 चीते लाए गए थे. पहले 8 तो दूसरी बार में 12 चीते लाए गए. सभी को मध्‍य प्रदेश के नेशनल पार्क कूनो में रखा गया. शुरुआत तो ठीक रही. खुद प्रधानमंत्री ने इन चीतों को छोटे बाड़े से बड़े बाड़े में केज का गेट खोलकर छोड़ा. देश के जंगलों में नए अध्याय की शुरुआत के रूप में इसे प्रचारित किया गया. लेकिन, इसके बाद मौत का जो सिलसिला शुरू हुआ वह थमने का नाम नहीं ले रहा है.

आशा ने पहले तोड़ा दम
चीतों की आबादी बढ़ने की शुरुआत भी हो चुकी थी, जब पहले से ही गर्भधारण कर आई एक मादा चीते ने अपने बच्चों को जन्म दिया. लेकिन, इसी बीच एक मादा चीता आशा ने दम तोड़ दिया. वजह सामने आई कि उसकी किडनी में पहले से ही समस्या थी.

बाद की मौतों से उठे सवाल
आशा की मौत के मामले में एक सवाल ये तो जरूर उठा कि क्या उसकी बीमारी का किसी को पता नहीं था. फिर भी इसे इसलिए नजरअंदाज कर दिया गया कि व्यवस्थागत कारणों से उसकी मौत नहीं हुई है. लेकिन, बाद के दिनों में फिर 7 और चीतों की मौत ने सवाल खड़े कर दिए हैं. एक के बाद एक हो रही मौतों के बाद अनुभवहीनता, लापरवाही आदि को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं.

कॉलर आईडी के जानलेवा बनने की आशंका
मौतों का विश्लेषण व पीएम रिपोर्ट से निकले निष्कर्ष के आधार पर कई कारण सामने आ रहे हैं. उन्हीं में से एक कॉलर आईडी को भी कारण बताया जा रहा है. दरअसल, इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि कॉलर आईडी से चीतों की त्वचा छील रही है और संक्रमण के बाद सेप्टीसीमिया से उनके खून में जहर फैल जा रहा है. इसी से मौत हो रही है. दूसरा, अनुभवहीनता को भी कारण बताया जा रहा है. दरअसल, यहां के वन्यजीव विशेषज्ञों व चिकित्सकों को चीतों की शारीरिक संरचना से लेकर उनके व्यवहार, रहन-सहन आदि को लेकर सिर्फ पुस्तकीय ज्ञान है. अनुभव की कमी को भी उनकी मौतों का जिम्मेदार माना जा रहा है.

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