लखनऊ। संयुक्त राष्ट्र विश्व खाध कार्यक्रम (UNWFP) ने लखनऊ में फोर्टिफाइड चावल पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। उत्तर प्रदेश सरकार के खाध एवं आपूर्ति विभाग के अपर आयुक्त अरुण कुमार ने बताया कि खाध सुरक्षा नेट योजनाओं जैसे एवाईवाई (अंत्योदय अन्न योजना), लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (लक्षित जनसंख्या वितरण प्रणाली), पीएम-पोषण और आईसीडीएस के माध्यम से कुपोषण और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को कम करने के भारत सरकार की महत्वकांक्षा के रूप में राज्य में फोर्टिफाइड चावल को शुरू किया जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, एनीमिया और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को दूर करने के लिए खाध फोर्टिफिकेशन व्यापक रूप से स्वीकृत खाध आधारित रणनीतियों में से एक है। खाध फोर्टिफिकेशन वैज्ञानिक तरीक़े, साक्ष्य-आधारित है और विकासशील देशों के लिए शीर्ष-तीन प्राथमिकताओं में से एक के रूप में विश्व स्तर पर स्वीकार किया है।
कुपोषण और एनीमिया के लिए लाभकारी
राज्य में फोर्टिफाइड चावल खाध सुरक्षा नेट योजनाओं के माध्यम से प्रदान किया जाता है, तो यह एनीमिया की स्थिति में सुधार करने की एक बड़ी क्षमता प्रदान करता है। जिसमें महिलाओं और बच्चों के बीच 50% से अधिक प्रसार शामिल है। एनीमिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें, रक्त की सामान्य ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता कम हो जाती है, और कम लाल रक्त कोशिकाओं के कारण कमजोरी, थकान, अनिद्रा, सिरदर्द, मतली जैसे संकेत होते हैं, जो लंबी अवधि में कुपोषण के अपरिवर्तनीय रूपों का कारण बन सकते हैं।
साल 2003 में प्रकाशित एक पेपर (खाध नीति) के अनुसार, भारत को लोहे की कमी वाले एनीमिया के कारण अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 0.9% नुकसान होता है। फोर्टिफाइड चावल में आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन बी -12 होता है, जो लाल रक्त कोशिकाओं के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। फोर्टिफाइड चावल का उत्पादन मिलिंग प्रक्रिया के दौरान चावल मिलों में 99% आमतौर पर खपत वाले मिल्ड चावल में 1% फोर्टिफाइड राइस कर्नेल (एफआरके) जोड़कर किया जाता है।
यूपी के 30 जिलों में हो रहा वितरण
हाल ही (अप्रैल-2022) में, भारत सरकार ने खाध सुरक्षा नेट योजनाओं के माध्यम से 2700 करोड़ रुपए की वार्षिक बढ़ोतरी वाली लागत में चरणबद्ध तरीके से फोर्टिफाइड चावल के वितरण को मंजूरी दे दी है। यह जून-2024 तक फोर्टिफाइड चावल वितरण योजना के पूर्ण कार्यान्वयन तक अपनी खाद्य सब्सिडी के हिस्से के रूप में केंद्र सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। इस संबंध में उत्तर प्रदेश ने पहले ही अपनी खाद्य सुरक्षा जाल योजनाओं के तहत फोर्टिफाइड चावल का वितरण शुरू कर दिया है, जो वर्तमान में पीडीएस योजना के माध्यम से 30 जिलों तक पहुंच रहा है।
फोर्टिफाइड चावल को लेकर गलत धारणा
फोर्टिफाइड चावल वितरण के सफल कार्यान्वयन के लिए सामुदायिक जागरूकता और संवेदनशीलता एक महत्वपूर्ण कारक हैं । यूएनडब्ल्यूएफपी ने हाल ही में सामुदायिक संवेदनशीलता हेतु समुदाय, फ्रंटलाइन वर्कर्स, मिड-डे मील रसोइयों, माता-पिता, शिक्षकों और ग्राम प्रधानों जैसे सामुदायिक इन्फ्लूएनसरों के लिए तीन महीने का अभियान पूरा किया है ताकि फोर्टिफाइड चावल पर जागरूकता पैदा की जा सके और इसको ले कर प्रचलित 'प्लास्टिक चावल' जैसी गलत धारणाओं को दूर किया जा सके। इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि स्वाद, उपस्थिति, रंग और खाना पकाने की विधि के मामले में फोर्टिफाइड चावल बिल्कुल सामान्य चावल की तरह है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि फोर्टिफाइड चावल की खपत के लिए समुदाय की ओर से किसी भी तरह के व्यवहार परिवर्तन की आवश्यकता नहीं होती है।
गुणवत्ता नियंत्रण एजीएम राम श्री हर्ष ने कहा कि, एफसीआई फोर्टिफाइड चावल खरीदने की प्रक्रिया में है। चावल फोर्टिफिकेशन जनवरी 2021 में सीएम योगी आदित्यनाथ द्वारा राज्य के चंदौली जिले में लॉन्च किया गया था। खरीफ विपणन सीजन 2021 में केवल चंदौली और वाराणसी क्षेत्र से 58203 मीट्रिक टन गढ़वाले चावल की खरीद की गई थी। केएमएस वर्ष 2021-22 में 14 जिलों से कुल मिलाकर 5.75 लाख मीट्रिक टन गढ़वाले चावल की खरीद की गई, इसके अतिरिक्त राज्य ने आईसीडीएस एमडीएन और पीडीएस दुकानों की मांग को पूरा करने के लिए पंजाब और हरियाणा से 5.77 लाख मीट्रिक टन गढ़वाले चावल की खरीद की है।
(इनपुट बाराबंकी से अनिरुद्ध शुक्ला)
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