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भारत में अब सेना की सरकार नहीं, मिल‍िट्री स्टेशन तक स‍िमट जाएंगी छावनियां, लद जाएंगे केंट के दिन

 Newsbaji  |  May 02, 2023 06:41 PM  | 
Last Updated : May 02, 2023 06:44 PM
देश के छावनी बोर्ड भंग होंगे और मिलिट्री स्टेशन तक सीमित हो जाएंगे
देश के छावनी बोर्ड भंग होंगे और मिलिट्री स्टेशन तक सीमित हो जाएंगे

नेशनल डेस्क. भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय ने एक बड़ा निर्णय लिया है. जल्‍द ही देशभर की सभी 62 सैन्य छावनी बोर्डों को भंग कर दिया जाएगा. इसकी शुरुआत हिमाचल प्रदेश के योल छावनी से कर दी गई है. अब सैन्य इलाके के असैन्य आबादी क्षेत्र को संबंधित नगरीय या ग्रामीण निकायों को सौंप दिया जाएगा. वहीं सैन्य क्षेत्र को मिलिट्री स्टेशन के रूप में संचालित किया जाएगा. वहीं अब तक कम से कम रेलवे स्टेशन के रूप में छावनी या कैंट शब्द जरूर सुने होंगे. आगामी द‍िनों में ये भी सुनने को नहीं मिलेंगे.

बता दें कि अंग्रेजों के जमाने में इस तरह की व्यवस्था शुरू की गई थी. इसके तहत जिस इलाके में सैन्य छावनी विकसित की जाती थी, वहां आसपास रहने वाली आबादी क्षेत्र का संचालन व प्रबंधन रक्षा मंत्रालय व सेना की ओर से गठित बोर्ड द्वारा किया जाता था. यानी संबंधित क्षेत्र के नगरीय निकाय का उनमें कोई दखल नहीं होता था. उनके लिए सुविधाएं जुटाना और नीतिगत फैसले लेने का अधिकार भी इस बोर्ड के पास होती थी. स्थानीय प्रशासन व राज्य सरकार की योजनाएं भी उन पर लागू नहीं होती थीं. आजादी के बाद भी यह नियम कायम रहा. लेकिन, अब इस पर आमूलचूल बदलाव किया जा रहा है.

ये होंगे लाभ
एक तो सैन्य छावनी जब मिलिट्री स्टेशन के रूप में सिमट जाएगी तो सैन्य अफसरों को अपने आप को मजबूत करने और सैन्य गतिविधियां संचालित करने में कहीं आसानी होगी. यह सेना के लिए ही कारगर साबित होगा. दूसरा ये कि आबादी क्षेत्र के लोगों को संबंधित निकायों पर राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ मिलेगा.

ऐसे गठित होता है सैन्य छावनी बोर्ड
छावनी बोर्ड रक्षा मंत्रालय के नियंत्रण में एक नागरिक प्रशासन‍िक निकाय है. बोर्ड में पदेन सदस्यों के साथ निर्वाचित सदस्य व मनोनीत सदस्य होते हैं. इसका कार्यकाल पांच साल होता है. कुल आठ निर्वाचित सदस्य होते हैं तो तीन नामित सैन्य सदस्य होते हैं. जबकि तीन पदेन सदस्य स्टेशन कमांडर, गैरीसन इंजीनियर और वरिष्ठ कार्यकारी चिकित्सा अधिकारी होते हैं. साथ ही जिला मजिस्ट्रेट का एक प्रतिनिधि भी इसमें शामिल होता है.

ये हैं राज्यवार सैन्य छावनियां
हिमाचल प्रदेश

  • बकलोह ( चंबा के पास )
  • दगशाई ( सोलन के पास )
  • डलहौजी छावनी (चंबा के पास)
  • जतोग ( शिमला के पास )
  • कसौली (सोलन)
  • सबथू ( सोलन के पास )
  • योल ( धर्मशाला के निकट )

जम्मू कश्मीर

  • बादामी बाग ( श्रीनगर के पास )
  • जम्मू

दिल्ली

  • दिल्ली

हर‍ियाणा

  • अंबाला

पंजाब

  • अमृतसर
  • फिरोजपुर
  • जालंधर

राजस्थान

  • अजमेर
  • नसीराबाद ( अजमेर के पास )
  • जयपुर

उत्तराखंड

  • अल्मोड़ा
  • चकराता
  • क्लेमेंट टाउन ( देहरादून के पास )
  • देहरादून
  • लंढौर ( मसूरी के पास )
  • लैंसडाउन
  • नैनीताल
  • रानीखेत
  • रुड़की

मध्य प्रदेश

  • जबलपुर
  • महू
  • मोरार
  • पचमढ़ी
  • सागर

उत्‍तर प्रदेश

  • आगरा
  • इलाहाबाद
  • अयोध्या
  • बबीना ( झांसी के पास )
  • बरेली
  • झांसी
  • कानपुर
  • लखनऊ
  • फतेहगढ़
  • मथुरा
  • मेरठ
  • शाहजहांपुर
  • वाराणसी

गुजरात

  • अहमदाबाद

महाराष्ट्र

  • अहमदनगर
  • औरंगाबाद
  • देहु रोड ( पुणे में )
  • देवलाली ( नासिक के पास )
  • कामठी ( नागपुर के पास )
  • खड़की ( पुणे )
  • शिविर ( पुणे )

बिहार

  • दानापुर

झारखंड

  • रामगढ़

मेघालय

  • शिलांग

पश्चिम बंगाल

  • बर्रकपुर
  • डमडम
  • जलापहाड़ ( दार्जिलिंग)
  • लेबोंग ( दार्जिलिंग)

कर्नाटक

  • बेलगाम

केरल

  • कन्नूर

तमिलनाडु

  • सेंट थॉमस माउंट-कम-पल्लावरम ( चेन्नई )
  • वेलिंग्टन

तेलंगाना

  • सिकंदराबाद

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