लखनऊ। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के काम करने के तरीके पर कहा कि ऐसी संस्था को हमेशा के लिए खत्म कर देनी चाहिए। कांग्रेस ने ही ईडी बनाई थी और आज ईडी की वजह से उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भुवनेशवर पहुंचे थे, उस दौरान मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि ईडी जैसी संस्था को समाप्त कर देना चाहिए। क्योंकि देश में आर्थिक अनियमितताओं को देखने वाली कई संस्थाएं है, जैसे इनकम टैक्स आदि। ईडी की अब जरुरत ही क्या है, इसे पूरी तरह से समाप्त कर देना चाहिए।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी)
भारत में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की शुरुआत 1 मई 1956 को हुई थी। तब वित्त मंत्रालय के डिपार्टमेंट ऑफ इकनॉमिक अफेयर्स में विदेशी मुद्रा अधिनियम, 1947 (एफईआरए) से जुड़े मामलों को देखने के लिए एक प्रवर्तन इकाई बनाई गई थी।जिसका मुख्यालय दिल्ली में और कलकत्ता एवं मुंबई में दो ब्रांच थी। उस वक्त ईडी के डायरेक्टर लीगल सर्विस के अफसर हुआ करते थे। लेकिन एक साल बाद साल 1957 में प्रवर्तन इकाई का नाम बदलकर डायरेक्टोरेट ऑफ एनफोर्समेंट या एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट रखा दिया गया था और चेन्नई में एक और ब्रांच खोली गई थी। इसके बाद फिर साल 1960 में ईडी का प्रशासनिक कंट्रोल डिपार्टमेंट ऑफ इकनॉमिक अफेयर्स से डिपार्टमेंट ऑफ रेवेन्यू को दे दिया गया था। फिलहाल दिल्ली स्थित मुख्यालय के अलावा ईडी का मुंबई, चेन्नई, चंडीगढ़, कोलकाता और दिल्ली में कुल 5 क्षेत्रीय कार्यालय हैं।
ईडी का मुख्य काम
मुख्य तौर पर आर्थिक अपराध, मनी लॉन्ड्रिंग और विदेशी मुद्रा कानून के उल्लंघन से जुड़े मामलों को देखती है। बता दें कि ईडी जिन कानूनों के तहत काम करती है उनमें- फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट,धन सोधन निवारण अधिनियम 2002, भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम 2018 और विदेशी मुद्रा का संरक्षण और तस्करी गतिविधियों की रोकथाम अधिनियम, 1974 शामिल हैं।
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