डेस्क. देश के जंगलों से कभी विलुप्त होते जा रहे बाघों को बचाने का सार्थक परिणाम अब सामने आ रहा है. यही वजह है कि साल 2006 में जब देशभर में 1411 टाइगर थे, उनकी संख्या 17 सालों में 1756 बढ़ गई है. अब देश में कुल 3167 बाघ हो गए हैं. रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी अधिकृत रूप से घोषणा की है.
बता दें कि आज रविवार यानी 9 अप्रैल 2023 को प्रोजेक्ट टाइगर को शुरू हुए 50 साल पूरे हो गए. इस मौके पर कर्नाटक के मैसुर में समारोह का आयोजन किया गया. इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाघों की गणना के आंकड़े प्रस्तुत किए. बताया कि अब देश के जंगलों में 3167 बाघ हैं. उन्होंने इसे गौरवान्वित करने वाला पल बताया.
चिंताजनक हो गई थी स्थिति
जानकारी के अनुसार, देश की स्वतंत्रता के बाद भी वन्य जीवों के संरक्षण को लेकर प्रयास शुरू नहीं किए गए थे और न सरकार के एजेंडे में ही ये शामिल थे. लेकिन, बाद में वन्यप्रेमियों ने इस ओर ध्यान आकृष्ट कराया और फिर बाघ समेत अन्य जीवों के संरक्षण पर प्रयास शुरू हुआ. तब इनके शिकार पर रोक लगाई गई. लेकिन, चोरी-छिपे शिकार होते रहे. बाघ संरक्षण की मुहिम शुरू होने के बाद भी यही स्थिति थी. लेकिन, जब लगा कि अब ये विलुप्त ही न हो जाएं तो दोबारा इस पर गंभीरता बरती गई. यही वजह है कि अब बाघों की संख्या में उत्तरोत्तर वृद्धि दर्ज की जा रही है.
छत्तीसगढ़ में हो रहे कम
एक ओर जहां देश में बाघों की संख्या में उत्तरोत्तर बढ़ोतरी हुई है तो वहीं राज्य स्तर पर स्थिति निराशाजनक है. यहां टाइगर्स की संख्या बढ़ने के बजाय कम हो रही है. जबकि उनकी संख्या बढ़ाने के लिए बजट भारी-भरकम है. बता दें कि हर महीने पांच करोड़ रुपये खर्च बाघों के लिए हो रहे हैं. इन सबके बाद भी मॉनिटरिंग के नाम पर खानापूर्ति ही हो रही है. दरअसल, यहां फील्ड स्टाफ से लेकर बड़े अफसरों के पद भी खाली हैं. साल 2014 में यहां बाघों की संख्या 46 थी, जो वर्ष 2018 में 19 रह गई थी.
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