आजीवन कारावास वाले दुष्कर्मी, आतंकी व जहरीली शराब बनाने वाले, अब मरते दम तक रहेंगे सलाखों के पीछे
प्रदेश में अभी आजीवन कारावास से दंडित बंदियों की रिहाई के लिए वर्ष 2012 की नीति लागू है। सामान्य प्रशासन विभाग ने मई 2022 में अपर मुख्य सचिव, गृह एवं जेल, डा. राजेश राजौरा की अध्यक्षता में आजीवन कारावास की सजा पाए कैदियों की रिहाई की नीति पर विचार करने के लिए समिति बनाई थी। समिति ने उप्र, महाराष्ट्र, ओडिशा, हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश सहित अन्य राज्यों की नीति का अध्ययन करने के बाद नीति प्रस्तावित की है।
मिली जानकारी के मुताबिक, प्रदेश की 131 जेलों में अभी 12 हजार से अधिक बंदी आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं जो नई नीति प्रस्तावित की गई है। उसमें आतंकी गतिविधियों व नाबालिगों से दुष्कर्म के मामले में सजा 14 वर्ष में समाप्त नहीं होगी। इस श्रेणी में शासकीय सेवकों की सेवा के दौरान हत्या करने वाले भी शामिल होंगे। राज्य के विरुद्ध अपराध और सेना के किसी भी अंग से संबंधित अपराध घटित करने वाले कैदी को कोई रियायत नहीं मिलेगी।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बैठक में कहा कि, आजीवन कारावास के ऐसे बंदी जो अच्छे व्यवहार आदि के कारण समय पूर्व रिहाई का लाभ लेते हैं, वे अलग श्रेणी के हैं। आतंकी और दुष्कर्म करने वाले अलग श्रेणी के अपराधी हैं। दुष्कर्म मामले में किसी भी स्थिति में बंदियों को समय पूर्व रिहाई का लाभ नहीं मिलना चाहिए। ऐसे अपराधी समाज विरोधी हैं। उन्होंने ऑनलाइन गैंबलिंग के विरुद्ध अधिनियम, लोक सुरक्षा और गैंगस्टर अधिनियम का प्रस्ताव शीघ्र तैयार करने के निर्देश दिए है।
फिलहाल, प्रदेश में अभी वर्ष में दो बार 26 जनवरी और 15 अगस्त को आजीवन कारावास की सजा काट रहे बंदियों के रिहाई होती है। नई नीति के अनुसार रिहाई अब चार बार यानी 15 अगस्त, 26 जनवरी, 14 अप्रैल और दो अक्टूबर को होगी। इसके लिए जिलास्तरीय समिति के प्रस्ताव पर जेल मुख्यालय परीक्षण करके अनुशंसा करेगा। सरकार इस पर अंतिम निर्णय लेगी।