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फूलों की खेती कर 10 लाख रुपये तक की आमदनी कर रहे किसान, 37 लाख का अनुदान दे रही सरकार, जानें डिटेल

 Newsbaji  |  Apr 13, 2023 10:08 AM  | 
Last Updated : Apr 13, 2023 10:08 AM
फूलों की खेती कर कमाई कर रहे किसान.
फूलों की खेती कर कमाई कर रहे किसान.

रायपुर. शेडनेट पद्धति ऐसी तकनीक है जिससे साल भर फूलों की खेती की जा सकती है. इस तकनीक के इस्तेमाल से किसानों को फूलों की खेती से साल भर नियमित रूप से अच्छी आमदनी मिलती है. छत्तीसगढ़ के किसान न केवल फूलों की खेती के लिए आकर्षित हो रहे बल्कि आधूनिक तकनीक शेडनेट, पॉली हाऊस, ड्रिप एवं मल्चिंग का इस्तेमाल कर रहे हैं. इससे उन्हें भरपूर उत्पादन मिल रहा है. हैदराबाद, अमरावती, नागपुर और भुवनेश्वर जैसे बड़े शहरों में फूलों की मांग के कारण उन्हें अच्छी आमदनी मिल रही है.

छत्तीसगढ़ सरकार के जनसंपर्क विभाग द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि फूलों की खेती के लिए शेड नेट पद्धति बहुत कारगर है, इससे फसल कीड़े एवं बीमारी से सुरक्षित रहती है. लंबे समय तक फसल के लगे रहने से किसानों को दुगुना मुनाफा होता है. ऐसी फसल जो गर्मी के मौसम में नहीं ले सकते उसके लिए यह पद्धति उपयोगी है. इससे साल भर फूलों की खेती की जा सकती है. वहीं बरसात के मौसम में थरहा सुरक्षित रहता है और नुकसान नहीं होता. राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अंतर्गत संरक्षित खेती के लिए 50 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है. इसके अंतर्गत 710 प्रति वर्ग मीटर पर 355 वर्ग मीटर में अनुदान का प्रावधान है. किसान अधिकतम 4000 वर्गमीटर में शेडनेट लगा सकते हैं.

राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ विकासखंड के ग्राम कोलिहापुरी के प्रगतिशील किसान गिरीश देवांगन गुलाब, जरबेरा एवं रजनीगंधा इत्यादि की खेती कर रहे हैं. इससे उन्हें सालाना करीब 10 लाख रुपये की आमदनी हो रही है. गिरीश ने बताया कि फ्लावर डेकोरेशन के लिए इन फूलों की मार्केट में बहुत अच्छी डिमांड है. यहां के फूल स्थानीय स्तर पर बिक्री के साथ ही हैदराबाद, अमरावती, नागपुर, भुवनेश्वर जैसे शहरों में भेज रहे हैं. उन्होंने बताया कि खेतों में शानदार शिरडी गुलाब की वेरायटी लगाई है. वहीं पॉली हाऊस में जरबेरा की वेरायटी अंकुर, सिल्वेस्टर, दून, दानाएलन, व्हाइट हाऊस एवं फोर्ब्स भी लगाई है.

गिरीश का कहना है कि राष्ट्रीय बागवानी मिशन अंतर्गत पॉली हाऊस निर्माण के लिए 16 लाख 88 हजार रुपए और संरक्षित खेती के लिए 14 लाख रुपए का अनुदान मिला है. साथ ही उन्हें शेडनेट हाऊस के लिए 7 लाख 10 हजार रुपए की अनुदान राशि भी मिली है, जहां उन्होंने ड्रिप एवं मल्चिंग विधि से गेंदा लगाया है. उन्होंने बताया कि शेडनेट पद्धति का उपयोग कर रजनीगंधा के फूल लगाए हैं.

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