रायपुर: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एक कार्यक्रम के दौरान कह चुके है कि यदि आप कुछ नहीं कर सकते तो छत्तीसगढ़ में गोबर बीनिए और सरकार को बेचिए, हर महीने 25 से 30 हजार रुपए तक कमाइए। छत्तीसगढ़ के लोग मेहनत कर गोबर बेच रहे हैं और कमाई कर रहे हैं।
गोबर का बिजनेस प्लान
छत्तीसगढ़ सरकार का दावा है कि गोधन न्याय योजना देश-दुनिया की इकलौती ऐसी योजना है, जिसके तहत छत्तीसगढ़ राज्य के गौठानों में 2 रुपए प्रति किलो की दर से गोबर की खरीदी की जा रही है। जुलाई 2020 से शुरू इस योजना के तहत 15 अप्रैल 2022 तक खरीदे गए गोबर के एवज में गोबर बेचने वाले ग्रामीणों को 136.22 करोड़ रुपए का भुगतान भी किया जा चुका है। अब 5 मई को गोबर विक्रेताओं को 2.34 करोड़ रुपए का भुगतान होने के बाद यह आंकड़ा बढ़कर 138.56 करोड़ रुपए हो गया है।
गोबर की खरीदी जारी
गोधन न्याय योजना देश-दुनिया की इकलौती ऐसी योजना है। जिसके तहत छत्तीसगढ़ राज्य के गौठानों में 2 रूपए किलो की दर से गोबर की खरीदी की जा रही है। गौठानों में 15 अप्रैल तक खरीदे गए गोबर के एवज में गोबर बेचने वाले ग्रामीणों को 136.22 करोड़ रूपए का भुगतान भी हुआ है। गौठान समितियों को भी अब तक 54.53 करोड़ रूपए और महिला स्व-सहायता समूहों 35.66 करोड़ रूपए राशि लाभांश की भुगतान किया जा चुका है।
प्रदेश में 10 हजार 622 गौठानों का निर्माण
राज्य में गोधन के संरक्षण और सर्वधन के लिए गांवों में गौठानों का निर्माण तेजी से कराया जा रहा है। गौठानों में पशुधन देख-रेख, उपचार एवं चारे-पानी का निःशुल्क बेहतर प्रबंध है। राज्य में अब तक 10,622 गांवों में गौठानों के निर्माण की स्वीकृति दी गई है, जिसमें से 8397 गौठान निर्मित एवं संचालित हैं, जिसमें से 3 हजार 89 गौठान आज की स्थिति में स्वावलंबी हो चुके हैं। स्वावलंबी गौठानों में अब तक स्वयं की राशि से 13 करोड़ 18 लाख रूपए का गोबर क्रय किया है। गोधन न्याय योजना से 2 लाख 11 हजार से अधिक ग्रामीण, पशुपालक किसान लाभान्वित हो रहे हैं। गोबर बेचकर अतिरिक्त आय अर्जित करने वालों में 45.19 प्रतिशत संख्या महिलाओं की है। इस योजना से एक लाख 18 हजार से अधिक भूमिहीन परिवार लाभान्वित हो रहे हैं।
गोबर से तैयार हो रहे उत्पाद
गौठानों में महिला समूहों द्वारा गोधन न्याय योजना के अंतर्गत क्रय गोबर से बड़े पैमाने पर वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट प्लस एवं अन्य उत्पाद तैयार किया जा रहा है। महिला समूहों द्वारा 13 लाख 94 हजार क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट तथा 4 लाख 97 हजार क्विंटल से अधिक सुपर कम्पोस्ट एवं 18 हजार 925 क्विंटल सुपर कम्पोस्ट प्लस खाद का निर्माण किया जा चुका है, जिसे सोसायटियों के माध्यम से शासन के विभिन्न विभागों एवं किसानों को रियायती दर पर प्रदाय किया जा रहा है।
महिला समूह गोबर से खाद के अलावा गो-कास्ट, दीया, अगरबत्ती, मूर्तियां एवं अन्य सामग्री का निर्माण एवं विक्रय कर लाभ अर्जित कर रही हैं। गौठानों में महिला समूहों द्वारा इसके अलावा सब्जी एवं मशरूम का उत्पादन, मुर्गी, बकरी, मछली पालन एवं पशुपालन के साथ-साथ अन्य आय मूलक विभिन्न गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है, जिससे महिला समूहों को अब तक 65 करोड़ 54 लाख रूपए की आय हो चुकी हैं। राज्य में गौठानों से 12,013 महिला स्व सहायता समूह सीधे जुड़े हैं, जिनकी सदस्य संख्या 82725 है। गौठानों में क्रय गोबर से विद्युत उत्पादन की शुरुआत की जा चुकी है। गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने के लिए एमओयू हो चुका है।
गौठानों को रूरल इण्डस्ट्रियल पार्क के रूप में विकसित किया जा रहा है। यहां आयमूलक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए तेजी से कृषि एवं वनोपज आधारित प्रसंस्करण इकाईयां स्थापित की जा रही हैं। प्रथम चरण में राज्य के 161 गौठानों में तेल मिल तथा 197 गौठानों में दाल मिल स्थापित किए जाने की कार्ययोजना पर अमल शुरू कर दिया गया है। अब तक 38 गौठानों में तेल मिल एवं 91 गौठानों में दाल मिल की स्थापना की जा चुकी है।
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