बैंक के प्रबंधक और कर्मचारियों की मिलीभगत से हुआ गबन
बलरामपुर. जिले के जिला सहकारी केंद्रीय बैंक रामानुजंगज में एक बड़े आर्थिक अनियमितता का मामला सामने आया है. बैंक के शाखा प्रबंधक शंकर राम भगत और कर्मचारी विजय उइके व राजेश पाल की संलिप्तता विभागीय जांच में पाई गई है. इन पर आरोप है कि उन्होंने मिलकर एक करोड़ 33 लाख 58 हजार 689 रुपये का गबन किया है. इस मामले में विजय उइके और राजेश पाल को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है, जबकि शाखा प्रबंधक शंकर राम भगत के खिलाफ जांच जारी है.
कंप्यूटर ऑपरेटर की संदिग्ध भूमिका, अपने और भाई के खाते में किया धन हस्तांतरण
इस मामले में कंप्यूटर ऑपरेटर पंकज विश्वास की भूमिका भी संदेह के घेरे में है. उसने अपने और अपने भाई मनोज विश्वास के खाते में बैंक की बड़ी राशि स्थानांतरित की थी. इसके अलावा, उसने अपने फर्म राधे ट्रेडर्स के खाते में भी फर्जी तरीके से पैसे समायोजित किए. हालांकि, पंकज विश्वास के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है, जिससे बैंक के हितग्राही नाराज हैं और जांच की पारदर्शिता पर सवाल उठा रहे हैं.
फर्जी खातों में स्थानांतरित किए गए लाखों रुपये
विभागीय जांच में यह भी पता चला कि किसान क्रेडिट कार्ड और समितियों को मिलने वाली राशि को निजी खातों में फर्जी तरीके से स्थानांतरित किया गया था. उदाहरण के तौर पर, मनोज विश्वास के खाते में चार बार में 63 लाख 82 हजार 717 रुपये, 6 लाख 90 हजार रुपये, 5 लाख 94 हजार 386 रुपये और 9 लाख 3 हजार 220 रुपये का समायोजन किया गया. इसी प्रकार, देव आशीष सिकदार के खाते में दो बार में 2 लाख 70 हजार रुपये और 1 लाख 55 हजार 58 रुपये का फर्जी समायोजन हुआ. इसके अलावा, राधे ट्रेडर्स के खाते में भी 7 लाख 34 हजार 774 रुपये समायोजित किए गए.
समितियों के बचत खातों में भी गड़बड़ी, 36 लाख से अधिक की रकम ट्रांसफर
जांच में पाया गया कि जिला बलरामपुर के विभिन्न समितियों के बचत खातों से भी गड़बड़ी की गई है. सच्चिदानंद नामक खाताधारक के बचत खाते में 36 लाख 28 हजार 534 रुपये का फर्जी समायोजन किया गया. इस प्रक्रिया में किसी भी समिति से आवश्यक बिल, चेक, आवेदन या प्रस्ताव नहीं लिया गया था, जो बैंकिंग नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है.
हितग्राही उठा रहे हैं जांच की पारदर्शिता पर सवाल
बैंक में हुई इस गड़बड़ी के मामले में विभागीय और पुलिस जांच पर हितग्राही सवाल उठा रहे हैं. विशेष रूप से, कंप्यूटर ऑपरेटर पंकज विश्वास के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होने से हितग्राही नाराज हैं और मामले की निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं. बैंक के प्रबंधन और कर्मचारियों की मिलीभगत से हुई इस धोखाधड़ी ने बैंक की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.
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