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रेलवे के पैसे को सट्टे में लगाने वाले कार्यालय अधीक्षक समेत छह गिरफ्तार

 Newsbaji  |  Jan 12, 2023 05:49 PM  | 
Last Updated : Jan 12, 2023 05:49 PM
crime arrested criminal
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रायपुर। रायपुर रेल मंडल के वैगन रिपेयर शॉप (डब्ल्यूआरएस) में दो करोड़ रुपये के घोटाले मामला सामने आने के बाद गिरफ्तारी भी शुरू हो गई है। इसी के तहत डब्ल्यूआरएस के कार्यालय अधीक्षक रोहित पालीवाल समेत कुल छह लोगों को खमतराई पुलिस ने गिरफ्तार किया है। दरअसल, कार्यालय अधीक्षक पिछले दो साल से थोड़े—थोड़े पैसे निकालकर सट्‌टा खेलता रहा। रेलवे के खाते से रकम निकलती रही, लेकिन किसी को भनक तक नहीं लगी थी। पकड़े गए अन्य आरोपियों में रेलवे के ही अन्य कर्मचारी हैं।

आपको बता दें कि सट्टे की लत में कार्यालय अधीक्षक रोहित पालीवाल ऑनलाइन सट्टा खिलाने वाले सटोरियों को रकम ट्रांसफर करता था। रकम रेलवे के खाते से पार की जाती थी। मामले का खुलासा होने के बाद चीफ वर्कशॉप मैनेजर सुभाष चंद्र चौधरी ने खमतराई थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई। फिर पुलिस ने इन छहों की गिरफ्तारी की है। साथ ही सटोरिया के खाते से दो लाख रुपये भी जब्त किए गए हैं। आपको बता दें कि इंटरनेट बैंकिंग के जरिए रेलवे की रकम ट्रासफर की जा रही थी। रेलवे के खाते में जब महज चार हजार रुपये रह गए तब हड़कंप मच गया।

तब इसकी जानकारी बिलासपुर जोन कार्यालय तक पहुंची। तब विजिलेंस ने खुफिया तरीके से पूरे मामले को जांच में लिया। इससे पता चला कि रकम का ट्रांजेक्शन रोहित के खाते में है। इसके बाद विजिलेंस की रिपोर्ट के आधार पर रेलवे ने मामला पुलिस को सौंप दिया। जांच में पता चला है कि रोहित का ट्रांसफर दूसरी शाखा में हो गया था। इसके बाद भी वह यहीं काम करता रहा। घोटाले में डब्ल्यूआरएस के कुछ अधिकारी—कर्मचारियों की भी मिलीभगत का पता चला। तब उन पांचों को भी आरोपी बनाया गया।

पहले खुद के खाते में करता था ट्रांसफर
आपको बता दें कि पुलिस की जांच में पता चला कि कर्मशाला प्रबंधक के खाते में दो करोड़ की सेंध लगाने वाला राेहित बड़ी चालाकी से रकम पार कर रहा था। उसने सुनियोजित तरीके से नेट बैंकिंग के जरिए पैसे निकाले। ट्रांजेक्शन के लिए स्वयं और अपने करीबियों के खातों का इस्तेमाल किया। अंत में यही सबसे बड़ा सबूत बना, जिसके आधार पर वह पकड़ में आया। वहीं अपने खाते में रकम आने के बाद वह उसे सटोरियों के खाते में पहुंचाता था। वहीं अधिकांश दांव फेल होने के बाद सारी रकम डूब गई और रेलवे के खाते में वह वापस पैसा नहीं डाल पाया, जिससे उच्चाधिकारियों को शक हो गया।

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