धमतरी. आखिरकार मानसिक रोगियों और उनके परिवार को उनके ही हाल में छोड़कर नजरअंदाज करने का नतीजा एक बार फिर सामने आया है. बचपन से पाल-पोसकर जिस मां ने अपने बेटे को बड़ा किया, अब तक उसके रहने-खाने और दवा में बेहिसाब पैसे खर्च किया, अंत में परेशान होकर उसकी जान ले ली. अब पुलिस ने सक्रिय होकर आरोपी मां को गिरफ्तार कर लिया. इससे पहले तक पंचायत से लेकर प्रशासन और पुलिस ने इसे नजरअंदाज किया था. मामला छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले का है.
बता दें कि धमतरी जिले के रुद्री थाना क्षेत्र के गंगरेल पंचायत में रहने वाली फूलेश्वरी पटेल ने ही बीते 15 मई को रुद्री थाना पहुंचकर अपने बेटे 40 वर्षीय संतराम पटेल की हत्या होने की जानकारी पुलिस को दी थी. पुलिस ने मौके पर जाकर शव का मुआयना किया और उसे पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया. इस बीच आसपास के लोगों से पूछताछ करने के साथ ही फूलेश्वरी का भी बयान दर्ज किया. फिर पुलिस को फूलेश्वरी पर ही शक हुआ तो उससे गहनता से पूछताछ की गई और उसने अपना जुर्म स्वीकार कर लिया. लिहाजा उसे गिरफ्तार कर लिया गया है.
ये बताई अपनी कहानी
वृद्ध मां फूलेश्वरी पटेल ने पुलिस को बताया कि बेटे की मानसिक स्थिति खराब थी, जिसके कारण व अपने बेटे के इलाज व बहू से लड़ाई-झगड़े से वह तंग आ चुकी थी. सप्ताहभर पहले उसके बेटे ने कहा कि उसके पास घर नहीं है और पैसा भी नहीं है. वह अपनी पत्नी के साथ पुराने घर में आकर रहना चाहता है. लेकिन, वह अपनी बहू को साथ में नही रखना चाहती थी. इसे लेकर उनके बीच झगड़ा हुआ. इसी बीच 14 मई को उसकी बहू अपने मायके में आयोजित शादी समारोह में शामिल होने के लिए चली गई. वहीं बेटे को अकेला पाकर फूलेश्वरी ने 15 मई को तड़के करीब तीन बजे हंसिया से उसके पेट में वार कर उसकी हत्या कर दी.
कहा- तंग आ चुकी थी
आरोपी वृद्धा ने पुलिस को बताया कि बेटे की मानसिक स्थिति बचपन से ठीक नहीं थी, जिसका इलाज मनोरोग चिकित्सालय माना तुता से चल रहा था. वह आए दिन उसके साथ झगड़ा करता था. उसके इलाज का पूरा खर्च भी उठाती थी. हमेशा उसका खयाल रखा. लेकिन, इन सबसे वह तंग आ चुकी थी.
हाईकोर्ट ने दी है जिम्मेदारी, सब कर रहे अनदेखी
मानसिक रोगी और उसके परिवार वालों विशेषकर मां-बाप की तकलीफ को कौन नहीं जानता. बचपन से लेकर बड़े होने के बाद भी न केवल बराबर ख्याल रखना होता है, बल्कि कई तरह के त्याग भी करने पड़ते हैं. एक तरह से जिंदगी नर्क से भी बदतर हो जाती है. इन्हीं हालात को देखते हुए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के निर्देश पर न सिर्फ छत्तीसगढ़ के बिलासपुर राज्य मानसिक चिकित्सालय की स्थापना की गई है, बल्कि कोर्ट ने स्थानीय से लेकर जिला प्रशासन और पुलिस को भी जिम्मेदारी सौंपी है. लेकिन, हर स्तर पर ऐसे परिवारों की अनदेखी की जाती है. अंतत: इसी तरह के मामले सामने आते हैं. मां अब तक अपने बेटे की मानसिक अस्वस्थता के कारण प्रताड़ित रही और अब बेटा भी नहीं रहा और खुद को जेल की चहारदीवारी में बाकी की जिंदगी काटनी पड़ेगी.
भिलाई की स्मृति नगर चौकी पर पथराव, पुलिस ने 14 लोगों पर दर्ज किया मामला
शबरी पार छत्तीसगढ़ दाखिल हो रहे नक्सली का एनकाउंटर, एक जवान भी घायल
Copyright © 2021 Newsbaji || Website Design by Ayodhya Webosoft