बिलासपुर. सरकारी वितरण प्रणाली (पीडीएस) के चावल को सस्ती दरों पर खरीदकर बाजार में ऊंची कीमत पर बेचने के मामले में जगदीश ट्रेडिंग के संचालक रवि कुमार नागदेव के खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है. कलेक्टर के आदेश पर खाद्य विभाग की कार्रवाई के दौरान गोदाम से लिए गए सैंपल की जांच में सरकारी चावल मिलने की पुष्टि हुई है, जिसके बाद यह कदम उठाया गया.
सर्टिक्स मशीन से हो रही थी चावल की छंटाई
जगदीश ट्रेडिंग के गोदाम, जो चिंगराजपारा अपोलो अस्पताल रोड पर स्थित है, में पीडीएस चावल की खरीदी की शिकायत मिली थी. 30 सितंबर को खाद्य विभाग की टीम ने जब गोदाम पर छापा मारा, तो वहां सर्टिक्स मशीन पाई गई, जो चावल को उसकी रंगत और गुणवत्ता के आधार पर छांटने का काम करती है. जांच में गोदाम में 163.49 क्विंटल चावल अतिरिक्त पाया गया, जो प्रोपाइटर द्वारा घोषित स्टॉक से अधिक था. नागरिक आपूर्ति निगम के निरीक्षक द्वारा लैब में चावल की जांच की गई, जिसमें 1.1% एफआरके (फोर्टिफाइड राइस कर्नेल) पाया गया, जो पीडीएस चावल का स्पष्ट संकेत है.
व्यापारी के खिलाफ कार्रवाई, स्रोत की जांच नहीं
खाद्य विभाग ने रवि नागदेव के खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा 3/7 के तहत मामला दर्ज कर लिया है. हालांकि, इस मामले में यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि व्यापारी ने यह सरकारी चावल कहां से खरीदा था. आशंका जताई जा रही है कि सरकारी राशन की दुकानों से मिलीभगत कर यह खेल लंबे समय से चल रहा था. विभाग की कार्रवाई के बावजूद इस चावल के स्रोत की पहचान नहीं की गई, जो भविष्य की जांच का अहम हिस्सा हो सकता है.
चावल की कटाई-छंटाई से बढ़ाया मुनाफा
रवि नागदेव सरकारी पीडीएस चावल को खरीदने के बाद उसे अपने गोदाम में सर्टिक्स मशीन के जरिए छांटता और पतला करता था. इस प्रक्रिया के बाद, मोटे सरकारी चावल को पतला कर ऊंचे दामों पर बाजार में बेचा जाता था. इसके अलावा, चावल की कटाई-छंटाई से निकले टुकड़े, जिन्हें कनकी कहा जाता है, की भी बिक्री की जाती थी. बाजार में इन टुकड़ों की भी अच्छी खपत होती है, जिससे व्यापारी को और अधिक मुनाफा होता था.
सर्टिक्स मशीन का उपयोग और चावल की गुणवत्ता में हेरफेर
सर्टिक्स मशीन एक आधुनिक तकनीक है, जो चावल के दानों की रंगत और गुणवत्ता को पहचान कर खराब दानों को अलग कर देती है. इसमें उच्च गुणवत्ता वाला सीसीडी आप्टिकल सेंसर लगा होता है, जो चावल के खराब दानों को हटाकर चावल की गुणवत्ता को सुधारता है. इस मशीन का इस्तेमाल कर सरकारी मोटे चावल को पतला चावल बना दिया जाता था, जिससे व्यापारी ऊंची कीमत पर इसे बाजार में खपा रहे थे. इस तरह की हेराफेरी से न केवल सरकारी चावल की अवैध बिक्री हो रही थी, बल्कि इससे आम लोगों को भी नुकसान हो रहा था.
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