छत्तीसगढ़. अंबिकापुर जिले के उदयपुर थाना क्षेत्र के पंडरीपानी में महुआ बीनने के विवाद इतना बढ़ गया कि अधेड़ और उनके परिवार के साथ 6 लोगों ने मिलकर हमला बोल दिया। मारपीट के बीच टंगिया के वार से अधेड़ का एक कान कट गया। उसके सिर और गर्दन में भी गंभीर चोटे आई है।
टंगिया से काट दिया कान
जानकारी के अनुसार, प्रताप (55) थाना उदयपुर के ग्राम पंडरीपानी का निवासी है। रविवार सुबह सात बजे के करीब अपने नाती के साथ घर के नजदीक महुआ के खेत में गया तो देखा कि, इसके पट्टे की जमीन पर स्थित महुआ को अमृत दास अपने परिवार वालों के साथ महुआ बीन रहा था। जिसके बाद प्रताप ने अमृत दास व इसके परिवार वालों को महुआ बीनने से मना किया। इतने में अमृत दास गुस्से में आकर गाली गलौज करते हुए हाथ मे रखी टंगिया से वारकर दिया। जिससे उसका बायां कान कटकर अलग हो गया। इतने पर भी गुस्सा शांत नहीं हुआ तो, टंगिया के बट से सिर पर व पीठ पर ताबड़तोड़ कई वारकर उसे लहुलुहान कर घायल कर दिया है।
घायल का अस्पताल में इलाज जारी
घटना के बाद प्रताप महुआ बाड़ी में पड़ा हुआ था। उसे 108 के माध्यम से पायलट कृष्णा के द्वारा तत्काल उपचार के लिए उदयपुर अस्पताल लाया गया। जहां डॉ अर्पित सिंह के द्वारा प्राथमिक उपचार कर मरीज की गम्भीर स्थिति को देखते हुए, उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया है। बहरहाल पुलिस को पूरे मामले की सूचना संबंधित परिजनों ने दे दी है, जिसके बाद से मामले की जांच की जा रही है।
बता दे कि, वनांचल क्षेत्र के निवासियों के लिए महुआ आय का एक बडा माध्यम होता है। इसे लेकर ग्रामीणों के बीच प्रतिवर्ष विवाद की स्थिति बनती है।
जिस महुआ का उपयोग आम तौर पर आदिवासी क्षेत्रो में शराब बनाने के लिए होता है। वह अब अंतराष्ट्रीय बाजार में अच्छी कीमत पर बिक रहा है। यूके की एक प्राइवेट कंपनी ने छत्तीसगढ़ के वन विभाग से ने 750 क्विंटल महुआ खरीदा है। वह महुआ से विभिन्न उत्पाद तैयार करेगी।
छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ से जारी की गई जानकारी के मुताबिक, राज्य में हर साल लगभग 170 करोड़ रूपए मूल्य के 05 लाख क्विंटल महुआ फूल का संग्रहण किया जाता है। छत्तीसगढ़ का महुआ बेहद ही शानदार गुणवत्ता का माना जाता है। इस वजह से प्रदेश के महुआ की महक अब देश ही नहीं, बल्कि विदेश तक होने लगी है।
महुआ की खासियत
जानकारों के मुताबिक, महुआ की छाल का इस्तेमाल क्रोनिक ब्रोंकाइटिस, डायबिटीज मेलिटस और ब्लीडिंग में किया जाता है। गठिया और बवासीर की दवाई के रूप में महुआ की पत्तियों का इस्तेमाल किया जाता है। इसकी जड़ सूजन, दस्त और बुखार में बहुत असरकारक होती है। खास बात ये हैं महुआ बहुत लंबे समय तक सुखा कर स्टोर किया जा सकता है। एक बार जब ये सूख जाता है तो सालों तक इसका प्रयोग किया जा सकता है।
महुआ में क्या पाया जाता है?
महुआ में कार्बोहाइड्रेट, फैट, और प्रोटीन के साथ ही कैल्शियम, फास्फोरस आयरन, कैरोटीन और विटामिन सी भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इतने पोषक तत्वों से भरे होने के कारण इसे खाने के बहुत से फायदे होते हैं।
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