बलरामपुर. झारखंड की सीमा से लगे छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले के चांदो थाना क्षेत्र के इदरीकला पहाड़ी पर मिली हड्डियों की डीएनए जांच से 70 वर्षीय सुखनी बाई की पहचान हुई है, जो झारखंड के ग्राम सरुवत की निवासी थीं. पुलिस जांच में पुष्टि हुई कि अंधविश्वास और जादू-टोना के संदेह पर सुखनी बाई की हत्या की गई थी. इस हत्या के आरोप में पुलिस ने गांव के ही आरोपी कवलदेव नगेसिया (40) और उसकी पत्नी बजंती नगेसिया (35) को गिरफ्तार कर लिया है.
इस घटना का खुलासा तब हुआ जब जनवरी 2024 में रामलाल किसान नामक व्यक्ति ने चांदो थाने में शिकायत दर्ज कराई थी कि उसके गांव के पास छत्तीसगढ़ सीमा में ग्राम इदरीकला की पहाड़ी पर मानव हड्डियां मिली हैं. रामलाल ने संदेह जताया था कि ये हड्डियां उसकी दो महीने से लापता मां की हो सकती हैं. पुलिस ने हड्डियों का डीएनए परीक्षण करवाया, जिसमें यह पुष्टि हुई कि वे सुखनी बाई की ही हड्डियां थीं.
पुलिस जांच के दौरान मृतका के परिजनों के बयान के आधार पर आरोपी कवलदेव नगेसिया और उसकी पत्नी बजंती को गिरफ्तार किया गया. पूछताछ में दोनों ने स्वीकार किया कि उन्होंने टोनही के संदेह पर सुखनी बाई की हत्या की और साक्ष्य छिपाने का प्रयास किया. पुलिस के अनुसार, आरोपियों ने बताया कि पिछले 2-3 वर्षों में उनके तीन बच्चों की अचानक मृत्यु हो गई थी, और उन्हें संदेह था कि सुखनी बाई जादू-टोना करके उनके बच्चों को मार रही है.
इस अंधविश्वास के चलते दोनों ने सुखनी बाई की हत्या की योजना बनाई. नवंबर 2023 में जब सुखनी बाई किसी काम से पहाड़ी रास्ते से ग्राम इदरीकला जा रही थी, तब आरोपी बजंती ने पत्थर से उसके सिर पर प्राणघातक हमला किया. सुखनी बाई के घायल होने के बाद, बजंती और उसके पति ने गला दबाकर उसकी हत्या कर दी और साक्ष्य छिपाने के लिए शव को घटनास्थल से लगभग 100 मीटर दूर झाड़ियों में छिपा दिया.
इस घटना ने क्षेत्र में दहशत फैला दी है और अंधविश्वास के कारण होने वाली हिंसा की एक और भयावह तस्वीर पेश की है. पुलिस अब इस मामले में आगे की जांच कर रही है और आरोपियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई जारी है.
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