बीजापुर. नक्सलियों के सफाए के लिए आने वाले अर्धसैनिक बलों के अफसरों के पास यहां रणनीति बनाने और एंटी नक्सल मूवमेंट को तेज करने की जिम्मेदारी रहती है. लेकिन, एक अफसर ने अपने पद की गरिमा को तार-तार करते हुए अन्य अफसरों पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं. उसने शिकारियों से बाघ की खाल खरीदने के लिए 13 लाख रुपये में न सिर्फ सौदा तय कर लिया, बल्कि साढ़े 7 लाख एडवांस भी दे दिया. शिकारियों के पकड़े जाने पर भेद खुला है. जबकि अफसर अभी दिल्ली में पदस्थ है.
बता दें कि बस्तर संभाग के जंगल के एक बड़े हिस्से में इंद्रावती टाइगर रिजर्व है, जिसकी बड़ी सीमा महाराष्ट्र से लगती है. शिकारियों को इससे शिकार करने और भागने में आसानी होती है. यही वजह है कि बाघों के शिकार की शिकायतें अक्सर सामने आती हैं और कई बार पकड़े भी जाते हैं. इन वन अपराधियों का काम ही गैरकानूनी तरीके से वन्यजीवों का शिकार करना है. लेकिन, इस बार सीआरपीएफ के एक अफसर का नाम भी इन शिकारियों से सौदा करने वाले के रूप में जुड़ गया है. वह भी सीधे बाघ की खाल का सौदा.
ऐसे खुला राज
पिछले दिनों इंद्रावती टाइगर रिजर्व में बाघों का शिकार करने वाले एक गिरोह के 13 लोगों की सिलसिलेवार गिरफ्तारियां की गई हैं. उनसे पूछताछ समेत 5 अन्य लोगों का नाम सामने आया. इस अफसर ने इन शिकारियों से बाघ की खाल खरीदने के लिए सौदा तय किया था. कुल 13 लाख रुपये में बात हुई थी. वहीं साढ़े 7 लाख रुपये एडवांस भी दे दिए थे. तब सीआरपीएफ अफसर बीजापुर में पदस्थ था.
दिल्ली भेजा नोटिस
सीआरपीएफ अफसर को बाघ की खाल डिलीवर होता, उससे पहले ही उसकी पोस्टिंग दिल्ली कर दी गई. लिहाजा वह अभी दिल्ली में पदस्थ है. इधर, उससे पूछताछ और जरूरत पड़ी तो गिरफ्तारी के लिए टाइगर रिजर्व की टीम ने उसके नाम से नोटिस दिल्ली भेजा है. इसमें पूछताछ के लिए उसे तलब करने का जिक्र किया गया है.
यहां किया गया था शिकार
जिस बाघ का शिकार सीआरपीएफ अफसर को डिलीवर करने के लिए किया गया है, उसकी उम्र ढाई साल थी. उसे टाइगर रिजर्व क्षेत्र के भोपालपट्टनम के कोंडामासुम गांव में नदी के किनारे से शिकार कर मारा गया था. फिर खाल निकालकर सूखाने और अफसर तक डिलीवर करने का काम बाकी था, लेकिन शिकारी पकड़ में आ गए.
महाराष्ट्र से माइग्रेट करने की आशंका
इंद्रावती टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर धम्मशाील गणवीर का कहना है कि ट्रैप रिकॉर्ड में इस बाघ का स्किन प्रिंट दर्ज नहीं है. ऐसे में आशंका है कि ये महाराष्ट्र के सीमावर्ती जंगल से माइग्रेट होकर आया रहा होगा.
मचा हड़कंप
सीआरपीएफ अफसर द्वारा बाघ की खाल खरीदने का सौदा तय करने का पता चलते ही राज्य से लेकर केंद्रीय एजेंसियों, अफसरों व पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया है. सीआरपीएफ समेत अन्य अर्धसैनिक बलों के स्थानीय रहवासियों से बेहतर संबंध और समन्वय को भी इससे झटका लगने की बात विशेषज्ञ कह रहे हैं. अब देखने वाली बात है कि इस मामले में आगे क्या और किन-किन स्तरों पर कार्रवाई होती है.
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