कोरबा। जिले में बिजली, एलुमिनियम और कोयला के साथ-साथ पुरातात्विक और धार्मिक स्थान भी मौजूद है। ऐसा ही एक स्थान देवपहरी का गौमुखी है, जहां हर समय स्नान और दर्शन पूजन की परंपरा है। सदियों से यह स्थान यहां पर मौजूद हैं जो अपनी विशेषताओं के साथ लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करता हैं।
सनातन संस्कृति में जल तत्व का विशेष महत्व है और अलग-अलग कारणों से उसके प्रति लोगों की श्रद्धा बनी हुई हैं। धार्मिक कार्यों के सिलसिले में वरुण पूजन की परंपरा अनिवार्य रूप से निभाई जाती हैं। नदियों के स्रोत से लेकर कल-कल बहते झरने से लेकर पवित्र सरोवर में स्नान के पीछे धर्म अध्यात्म और विज्ञान की दृष्टि शामिल है।
बता दे कि, यह स्थल जिला मुख्यालय कोरबा से करीब 7 किलोमीटर दूर देवपहरी गांव में गौमुखी के रुप में पहचाना जाता है। पहाड़ी से निरंतर निकलने वाली जलधारा बहते हुए, यहां एक स्थान पर गिरती है। देवपहरी रमणीक क्षेत्र की यात्रा करने वाले लोग यहां तक जरूर पहुंचते हैं और गौमुखी के निर्मल जल का लाभ लेना नहीं भूलते है।
इस जगह की संरचना के आधार पर इसका नाम गौमुखी रखा गया है। माना जाता है कि इसकी बनावट गाय के मुख के समान है। यह स्थान सदियों से यहां पर मौजूद है। इस जगह को लेकर कई प्रकार की मान्यताएं है। सामाजिक कार्यकर्ता रामकिशोर श्रीवास्तव बताते है कि लोगों की आस्था है कि यहां जाने अनजाने में अगर गौ हत्या का दोष लगा है तो इसकी मुक्ति विधिवत पूजा- अर्चना करने से मिल जाती है। यहां छत्तीसगढ़ से ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों से भी लोग आते हैं।
लेकिन स्थानीय लोगों का मानना है कि ऐसे स्थानों पर लोग बड़ी संख्या में आते है, यह काफी सुखद है। प्रकृति की अनमोल धरोहर का आनंद लेते है, परंतु इनके संरक्षण के लिए शासन स्तर पर बहुत कुछ किया जाना बाकी है। अगर सही तरीके से इस तरह के स्थलों की देखरेख की जाए तो यहां आने वाले लाभार्थियों को फायदा होगा।
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