रायपुर. छत्तीसगढ़ में ये चुनावी साल का दौर है. नेता इधर से उधर जा रहे हैं. अफसर भी पीछे नहीं हैं. एक आईएएस अफसर का वीआरएस अभी प्रक्रियाधीन है. अब एक और अफसर ने भी शायद मन बना लिया है. उन्होंने भी वीआरएस के लिए आवेदन कर दिया है. ये अफसर हैं संस्कृति विभाग के उपसंचालक अमृतलाल पैकरा. आदिवासी संगठनों से सक्रिय रूप से जुड़े और परिवार के सदस्य पक्के कांग्रेसी. रहने वाले भी मूलत: कोरबा के आदिवासी अंचल रामपुर क्षेत्र से. इसके साथ ही अब वे भी चर्चा में आ गए हैं.
बता दें कि उपसंचालक पैकरा ने वैसे तो वीआरएस का आवेदन बीते 6 जून को दे दिया था, लेकिन जानकारी अब निकलकर सामने आई है. जानकारी के अनुसार, वीआरएस का आवेदन देने के बाद तीन महीने की अवधि में प्रक्रिया पूरी होती है. यानी विधानसभा चुनाव और इसकी कवायदें शुरू होने से पहले-पहले वे मैदान में आ सकते हैं.
सेफ गेम खेल सकते हैं पैकरा
वीआरएस लेकर चुनाव मैदान और राजनीति की राह पर चलने वाले पैकरा पहले अफसर तो हैं नहीं, लेकिन हर किसी को यह फलीभूत हुआ हो ऐसा भी नहीं है. ऐसे में राजनीति के जानकारों का मानना है कि कुछ मायनों में उनका ये फैसला सेफ गेम हो सकता है. दरअसल, वर्तमान में छत्तीसगढ़ की सत्ता में कांग्रेस काबिज है. चुनाव से पहले का माहौल भी कुछ-कुछ पार्टी के पक्ष में ही दिखने लगा है. ऐसे में पैकरा के मामले में रिस्क फैक्टर कम ही है.
रामपुर भी अनुकूल
वैसे तो रामपुर विधानसभा सीट से पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर लगातार जीतते रहे हैं. लेकिन, अब बीजेपी का उनसे और उनका बीजेपी से सब कुछ सही नहीं चल रहा है. बीजेपी यहां से नए चेहरे के साथ भी दांव खेल सकती है. इधर, कांग्रेस का एक ऐसा नया चेहरा मिलेगा जो क्षेत्र के लिए पुराना भी नहीं होगा. पारिवारिक बैकग्राउंड तो है ही. प्लस पाइंट ये भी कि पैकरा सामाजिक गतिविधियों व आदिवासी संगठनों में पहले से ही सक्रिय रहे हैं. यानी ये सीट उनके अनुकूल भी माना जा सकता है.
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