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छत्तीसगढ़ शासन की कैबिनेट बैठक, दिपावली से पहले किसानों के खाते में 1866 करोड़ का भुगतान, कई बड़े फैसलों पर मिली मंजूरी

 Newsbaji  |  Oct 17, 2022 10:12 PM  | 
Last Updated : Jan 06, 2023 10:19 AM

रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में सोमवार को कैबिनेट की अहम बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले हुए हैं। मुख्यमंत्री ने किसानों को 1866 करोड़ रुपए का भुगतान किया। इस बीच अरहर, मूंग, और उड़द को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदे जाने की घोषणा की है।

किसानों को उपहार
छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने हितग्राहियों को 1866 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया। ये भुगतान राजीव किसान न्याय योजना, गोधन न्याय योजना और राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना के हितग्राहियों को किया गया है। अरहर, मूंग एवं उड़द की फसलों की बुआई करने वाले किसानों के हित में मुख्यमंत्री का बड़ा निर्णय लेते हुए कहा है कि धान खरीदी के बाद अब समर्थन मूल्य में अरहर, मूंग एवं उड़द भी छत्तीसगढ़ सरकार खरीदेगी। अरहर एवं उड़द की फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य 6600 रूपए प्रति क्विंटल और मूंग फसल की फसल 7755 रूपए प्रति क्विंटल की दर से खरीदी की जाएगी।

वहीं दूसरी तरफ, मुख्यमंत्री ने राजीव गांधी किसान न्याय योजना की तीसरी किस्त के रूप में प्रदेश के 23 लाख 99 हजार 615 किसानों को 1745 करोड़ रूपए दिए। राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना के तहत 4 लाख 66 हजार 880 हितग्राहियों को 115 करोड़ 80 लाख 32 हजार रूपए और गोधन न्याय योजना के हितग्राहियों को 5 करोड़ 59 लाख रूपए की राशि का ऑनलाइन भुगतान हुआ।

बघेल कैबिनेट के अहम फैसलें
- एक नवंबर 2022 से 31 जनवरी 2023 तक समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी की जाएगी। इसी प्रकार मक्का की खरीदी एक नवंबर 2022 से 28 फरवरी 2023 तक की जाएगी।
- आरक्षण पर अभी क्वांटिफायबल डाटा आयोग की रिपोर्ट का इंतजार करने की बात तय हुई है। उसके आधार पर सरकार कोई फैसला करेगी। विधि मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा, एससी और एसटी आबादी का डाटा जनगणना की रिपोर्ट में है. क्वांटिफायबल डाटा आयोग की रिपोर्ट से ओबीसी और ईएसडब्ल्यू की तस्वीर साफ हो जाएगी।
गन्ना प्रोत्साहन योजना के क्रियान्वयन के संबंध में निर्णय लिया गया कि गन्ना प्रोत्साहन राशि 11.99 करोड़ रूपए का भुगतान किया जाएगा।
- भूपेश कैबिनेट में निर्णय लिया गया कि,तीन महीने अक्टूबर,नवंबर और दिसंबर 2022 में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना की पात्रता के समकक्ष राज्य योजना के राशनकार्डों (सामान्य राशनकार्ड को छोड़कर) में अतिरिक्त राशन दिया जाएगा। एवं चावल निःशुल्क वितरित करने पर सहमति बनी है।
- धान उपार्जित क्षेत्र में धान के बदले अन्य फसल लेने पर प्रति एकड़ 10 हजार रूपए सहायता राशि उसी खरीफ सीजन के लिए लागू करने की अनुमति दी गई।
- आबकारी विभाग द्वारा आयोजित की जाने वाली आबकारी उप निरीक्षक के पद पर सीमित विभागीय प्रतियोगिता परीक्षा में दो से अधिक बार परीक्षा में शामिल नहीं होने के प्रावधान को केवल एक बार के लिए छूट प्रदान करने का निर्णय लिया गया।
- राज्य कर विशेष आयुक्त के पद पर पदोन्नति हेतु निर्धारित अर्हकारी सेवा अवधि 5 वर्ष में केवल एक बार के लिए दो वर्ष की छूट प्रदान करने का निर्णय लिया गया।
वन विभाग के ट्रांसपोर्ट में अब NTPS सिस्टम लागू होगा, इधर PPP मॉडल से कॉलेज खोलने पर छूट दी जाएगी।
- संचालनालय स्वास्थ्य सेवा के तहत प्रशासकीय अधिकारी के पदोन्नति के पद का वेतनमान सीधी भर्ती के पद के समान मैट्रिक्स लेवल-12 पात्रता तिथि से स्वीकृत किए जाने का निर्णय लिया गया।

आरक्षण पर मंथन
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी आबादी के अनुपात में आरक्षण देने की बात करते रहे हैं। उन्होंने कहा है कि, कांग्रेस आबादी के अनुपात में आरक्षण की पक्षधर है। हम चाहते हैं कि संविधान में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समाज को जो अधिकार मिला हुआ है वह बना रहे। यही नहीं पिछड़ा वर्गों के लिए मंडल आयोग ने जो सिफारिशें की हैं वह भी मिले और संसद ने सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए आरक्षण की जो व्यवस्था की है वह भी लागू रहे। बिलासपुर उच्च न्यायालय के फैसले के बाद इसे किस तरह किया जाए उसपर मंथन हो रहा है।

सरकार कर रही राजनीतिक हमले का सामना
साल, 2018 के चुनाव में कांग्रेस की सबसे बड़ी जीत बस्तर और सरगुजा संभाग के आदिवासी बहुल सीटों पर हुई थी। इन्हीं वोटरों के दम पर कांग्रेस लोकसभा चुनाव में भी दो सीटें जीतने में कामियाबी मिली थी। आरक्षण मामले में अदालत में सरकार की हार ने प्रदेश की राजनीति को भी गर्म कर दिया है। प्रमुख विपक्षी दल भाजपा ने कांग्रेस और राज्य सरकार पर राजनीतिक हमला तेज कर दिया है।पिछले दिनों भाजपा ने राजभवन तक मार्च कर 32% आरक्षण बहाल करने की मांग की थी।

आरक्षण मामले में अब तक हुआ क्या
प्रदेश सरकार ने 2012 आरक्षण के अनुपात में बदलाव किया था। इसमें अनुसूचित जनजाति वर्ग का आरक्षण 32% कर दिया गया। वहीं अनुसूचित जाति का आरक्षण 12% किया गया। इस कानून को गुरु घासीदास साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई। बाद में कई और याचिकाएं दाखिल हुईं। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने इसपर फैसला सुनाते हुए राज्य के लोक सेवा आरक्षण अधिनियम को रद्द कर दिया। इसकी वजह से आरक्षण की व्यवस्था खत्म होने की स्थिति पैदा हो गई । शिक्षण संस्थाओं में भी आरक्षण खत्म हो गया है।

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