कोरबा. साऊथ ईस्टर्न कोलफिल्ड इस्टर्न लिमिटेड (एसईसीएल) की कुसमुंडा कोयला खदान में शनिवार को बारिश के दौरान पानी और मलवे के सैलाब ने एक बड़ा हादसा कर दिया. इस घटना में अंडर मैनेजर जितेंद्र नागरकर लापता हो गए थे, जिनका शव रविवार को खदान के अंदर एक संप में मिला.
बता दें कि शनिवार दोपहर करीब तीन बजे कुसमुंडा खदान में तेज बारिश हो रही थी. इस दौरान जनरल शिफ्ट के अधिकारी और कर्मचारी ड्यूटी पर थे. भारी बारिश के कारण वीरान स्थल गोदावरी फेस में अंडर मैनेजर जितेंद्र नागरकर और पांच अन्य कर्मचारी फंस गए. सभी ने लोहे के स्ट्रक्चर के रेस्ट सेल्टर में शरण ली थी.
अचानक आया पानी और मलबे का सैलाब
रेस्ट सेल्टर के पीछे ओवरबर्डन खदान की मिट्टी निकासी के टीले के ऊपर से अचानक पानी और मलवे का सैलाब फूट पड़ा. इस दौरान चार कर्मचारी किसी तरह भागकर बच गए, लेकिन नागरकर लापता हो गए. माइनिंग सरदार धरमसिंह भी सुरक्षित स्थल की ओर भागे, लेकिन वह कमर तक मलवे में दब गए. किसी तरह बाहर निकलने के बाद उनकी हालत खराब हो गई.
मची चीख-पुकार
इस स्थल पर कर्मचारियों का आना जाना कम होता है, इसलिए हादसे की जानकारी देर से मिली. कुछ कर्मचारियों ने बेहोश धरमसिंह को देखा और हड़कंप मच गया. सबसे पहले धरमसिंह को गेवरा के विभागीय अस्पताल भेजा गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें अपोलो अस्पताल बिलासपुर भेजा गया. डॉक्टरों ने उनकी हालत खतरे से बाहर बताई.
शुरू हुई पतासाजी
नागरकर की तलाश में रेस्क्यू टीम रातभर मलबे में खोजबीन करती रही. रविवार सुबह रेस्क्यू टीम ने पुनः काम शुरू किया, लेकिन इससे पहले ही संप में नागरकर का शव पानी की सतह पर उफन कर बाहर आ गया. शव मिलने से एसईसीएल के कर्मचारियों में शोक की लहर दौड़ गई है.
तीन साल पहले आए थे यहां
नागरकर पहले डब्ल्यूसीएल में पदस्थ थे और तीन साल पहले एसईसीएल में स्थानांतरित होकर आए थे. उनका परिवार यहां नहीं रहता था. इस घटना ने एसईसीएल कर्मियों को गहरे सदमे में डाल दिया है और सभी के मन में गहरा दुख है. वहीं इस दर्दनाक घटना ने सुरक्षा और प्रबंधन पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं.
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