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प्रतिभावान बेटी की ये ख्वाहिश हुई पूरी, 3 साल साल बाद मिली पिता से, अंत में एसपी की ये बात सबको सुननी चाहिए

 Newsbaji  |  May 11, 2023 07:37 PM  | 
Last Updated : May 11, 2023 07:37 PM
जब बेटी और पिता 3 साल बाद मिले तो दोनों की आंखें छलक आईं.
जब बेटी और पिता 3 साल बाद मिले तो दोनों की आंखें छलक आईं.

भिलाई. इस खबर की शुरुआत कहां से की जाए.. मौका खुशी का था, लेकिन आंखें छलक रही थीं. खुशी, आंसू, पश्चाताप कहीं से तो शुरू करनी होगी. फिर वीडियो देखते आपकी आंखों के कोर भीगे तो छिपाएं नहीं.

बेटी पूरे तीन सालों बाद अपने पिता से मिल रही थी और प‍िता अपनी बेटी से. गवाह बने दुर्ग एसपी डॉ. अभ‍िषेक पल्लव. बल्कि उन्हें इस पहल के लिए बेटी की प्रतिभा और फिर उसकी मनुहार ने ही प्रेरित किया, जो उसे वहां ले गए जहां पिता और भाई पिछले तीन सालों से कैद हैं. जी हां, जेल की चहारदीवारी से बाहर निकलकर जेल अधीक्षक के चैंबर पर अपनी बेटी को एक बड़ी उपलब्धि के बीच पाकर पिता भी अपनी आंखों से बह चले आंसुओं को नहीं रोक सके. बेटी भी भावुक हुई. अंत में एसपी ने अपराध और अपराधी के साथ परिवार को लेकर बड़ी बात कही जिसे सभी को सुनना चाहिए और सीख भी लेनी चाहिए.

हम बात कर रहे हैं कक्षा 10वीं की मेरिट लिस्ट में सातवां स्थान हासिल कर पूरे दुर्ग जिले में टॉप करने वाली सानिया मरकाम की. लेकिन, इस इमोशनल कहानी की शुरुआत ये नहीं है. इसकी शुरुआत एक इंतकाम से होती है. एक बिगड़ैल बच्चे की हरकतों से होती है, जिसकी सजा पिता समेत पूरे परिवार को मिल रही है. उसी पीड़ा और तकलीफ के बीच सानिया ने ये उपलब्धि हासिल की है.

चलते हैं तीन साल पहले...
ठीक तीन साल पहले सानिया से बड़े भाई का कुछ लोगों के साथ झगड़ा हुआ. इस बात की जानकारी सानिया के पिता को हुई और वे भी मौके पर पहुंचे. वाद-विवाद झगड़े और मारपीट तक पहुंच गई. इसी दौरान दूसरे पक्ष के एक लड़के की मौत हो गई. पुलिस ने सानिया के भाई के साथ उसके पिता को भी गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. तब से दोनों जेल में बंद थे.

घर में समस्याएं, बेटियों के आने पर की थी मनाही
इन तीन सालों में घर की जिम्मेदारियां सानिया की मां और अन्य सदस्यों ने उठाई. विपरीत हालात के बाद भी सानिया व उसकी अन्य बहनों की पढ़ाई जारी रखने दिया. इन सबके बीच, जितना पश्चाताप सानिया के पिता को था, उतना ही वे वक्त की नजाकत और अपनी जिम्मेदारियों को भी समझ रहे थे. यही वजह है कि उन्होंने कभी भी बच्चों को मिलने के लिए नहीं बुलाया, ताकि पढ़ाई के लिए उनकी एकाग्रता भंग न हो और उन्हें पिता को लेकर शर्मिंदगी भी न झेलनी पड़े.

फिर सानिया ने किया कमाल
मां की मेहनत और पिता की चिंता.. दोनों ने रंग लाया. इनसे भी ज्यादा सानिया की समझदारी और प्रतिभा व मेहनत. उसने अपनी एकाग्रता को भंग नहीं होने दिया. न घर की आर्थिक स्थिति और न सामाजिक परिस्थितियों की परवाह की. पढ़ाई न सिर्फ जारी रखा बल्कि उसे उस मुकाम तक ले गई, जहां से उसके सिर पर जिला टॉपर और स्टेट की मेर‍िट सूची में सातवीं रैंक का ताज सज गया.

एसपी पहुंचे मिलने तो रखी ख्वाहिश
जब दुर्ग एसपी डॉ. पल्लव को जानकारी हुई तो वे सानिया से मिलने उसके घर पहुंचे. मिठाई खिलाकर मुंह मीठा कराया और आशीष देने के साथ भविष्य की शुभकामनाएं दी. इसी दौरान सानिया ने अपनी ख्वाहिश उनके सामने जताई. कहा कि उनके पिता व भाई जेल में हैं. तीन साल में कभी उनसे नहीं मिली. एक बार उनसे मिलने की इच्छा है. यदि वे करा देते तो..

मिले तो छलके खुशी के आंसू
एसपी ने भी जेल अधीक्षक से मुलाकात कर गुरुवार का दिन ही यानी परीक्षा परिणाम आने के अगले दिन को ही उनके मिलने का वक्त मुकर्रर कर दिया. सानिया के साथ उसकी बहनें, मां, दादी समेत अन्य रिश्तेदार पहुंचे. उधर, बैरक से निकालकर सानिया के पिता और भाई को लाया गया. उनके मिलने की जगह था जेल अधीक्षक का चैंबर. मौके पर जेल व पुलिस का स्टाफ था और मौजूद रहे खुद एसपी अभिषेक पल्लव. जैसे ही पिता ने इस बड़ी उपलब्धि के बीच अपनी बेटी को देखा तो मारे खुशी के आंखें छलछला गईं. अपनी बांह से आंखों के कोरों को पोंछते हुए अपनी बेटियों से प्यार किया और सिर पर हाथ रखकर दुआएं दी. उनके उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं दी. बताया कि पूरे तीन सालों तक इन्हें खुद से मिलने नहीं दिया. अब बेटी पर उसे नाज है.

अंत में एसपी ने जो कहा, हम शब्दों में नहीं कहेंगे, आप खुद सुनिए

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