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छत्तीसगढ़ में स्वाइन फ्लू का कहर: बालोद की छात्रा की बिलासपुर अपोलो में मौत

 Newsbaji  |  Sep 13, 2024 11:57 AM  | 
Last Updated : Sep 13, 2024 11:57 AM
छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में स्वाइन फ्लू के मामले सामने आ रहे हैं.
छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में स्वाइन फ्लू के मामले सामने आ रहे हैं.

बिलासपुर/बालोद. स्वाइन फ्लू का प्रकोप अब भी थमने का नाम नहीं ले रहा है. बीते बुधवार की शाम एक 15 वर्षीय छात्रा सुनिधि साहू की मौत हो गई, जो बालोद जिले के दल्लीराजहरा वार्ड नंबर 16 की निवासी थी. छात्रा को पांच अगस्त को स्वाइन फ्लू के लक्षणों के बाद अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद उसकी स्थिति में सुधार नहीं हो पाया और अंततः उसकी मृत्यु हो गई. जिले में अब तक स्वाइन फ्लू से कुल नौ लोगों की जान जा चुकी है. वहीं, 165 से अधिक मरीजों की पहचान हो चुकी है. स्वाइन फ्लू के बढ़ते मामलों से जिले में चिंता का माहौल है.

स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह सक्रिय है और लगातार प्रयास कर रहा है कि संक्रमण के प्रसार को रोका जा सके. विभाग की टीम संक्रमितों के संपर्क में आए लोगों की सैंपलिंग कर रही है ताकि संभावित मरीजों का जल्दी पता लगाकर उन्हें उचित उपचार प्रदान किया जा सके. इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग लोगों को सतर्कता बरतने की सलाह दे रहा है. हालांकि, स्वाइन फ्लू के मामलों पर पूरी तरह से नियंत्रण नहीं पाया जा सका है, लेकिन इसके संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लगातार प्रयास जारी हैं.

स्वाइन फ्लू के मामले जिस तेजी से बढ़ रहे हैं, ऐसे में सावधानी बरतना बेहद जरूरी हो गया है. इस बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि लोगों को भीड़भाड़ वाले स्थानों से दूर रहना चाहिए, मास्क का नियमित उपयोग करना चाहिए, और अपने हाथों को साबुन से बार-बार धोना चाहिए. इसके अलावा, अगर किसी व्यक्ति में स्वाइन फ्लू के लक्षण दिखाई दें, जैसे कि बुखार, खांसी, गले में खराश, शरीर में दर्द, तो उसे तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और खुद को अलग कर लेना चाहिए ताकि दूसरे लोग संक्रमित न हों.

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का मानना है कि जागरूकता की कमी और समय पर उपचार न मिलने के कारण स्वाइन फ्लू के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. विभाग ने जनता से अपील की है कि वे स्वाइन फ्लू के लक्षणों को हल्के में न लें और तुरंत चिकित्सा सहायता प्राप्त करें. इस बीमारी से बचाव के लिए टीकाकरण भी एक कारगर उपाय है, जो गंभीर परिणामों से बचा सकता है. इसके अलावा, स्वस्थ आहार और पर्याप्त नींद लेना भी शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक होता है, जिससे संक्रमण का खतरा कम होता है.

स्वाइन फ्लू के मामलों को नियंत्रित करने के लिए जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के बीच समन्वय बनाकर काम किया जा रहा है. ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं ताकि लोग इस बीमारी के लक्षण और उससे बचने के तरीकों के बारे में जान सकें. स्थानीय स्कूलों और सार्वजनिक स्थलों पर स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए हैं. इसके अलावा, संक्रमित क्षेत्रों में विशेष टीमें तैनात की गई हैं, जो संदिग्ध मामलों की जांच कर रही हैं.

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