रायपुर. छत्तीसगढ़ कोयला घोटाला मामले में निलंबित आईएएस अधिकारी रानू साहू और कारोबारी दीपेश टांक को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी है. रानू साहू पिछले एक साल से जेल में बंद थीं, जबकि दीपेश टांक लगभग डेढ़ साल से जेल में थे. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दोनों को मनी लॉन्ड्रिंग और कोयला घोटाला मामले में गिरफ्तार किया था. इधर, ईओडब्ल्यू एसीबी ने आज ही रानू साहू समेत समीर बिश्नोई व सौम्या चौरसिया के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज किया है.
बता दें कि रानू साहू, छत्तीसगढ़ के एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी, और दीपेश टांक, एक प्रमुख कारोबारी, दोनों पर आरोप है कि उन्होंने कोयला घोटाले में शामिल होकर अवैध तरीके से धन अर्जित किया. ईडी की जांच के अनुसार, इन दोनों ने कोयला खदानों के आवंटन और अन्य संबंधित कार्यों में भ्रष्टाचार किया था. रानू साहू और दीपेश टांक पर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप भी लगाए गए थे, जिसके तहत अवैध रूप से अर्जित धन को वैध बनाने की कोशिश की गई.
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने रानू साहू और दीपेश टांक की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्हें जमानत दी. दोनों को इस शर्त पर जमानत मिली कि वे जांच में सहयोग करेंगे और अदालत में नियमित रूप से पेश होंगे. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि दोनों किसी भी प्रकार से गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश नहीं करेंगे और जांच में किसी भी तरीके से बाधा नहीं डालेंगे.
रानू साहू का पक्ष
रानू साहू के वकील ने अदालत में तर्क दिया कि उनकी मुवक्किल एक वरिष्ठ अधिकारी हैं और उनके खिलाफ लगाए गए आरोप बिना किसी ठोस सबूत के हैं. उन्होंने यह भी बताया कि रानू साहू ने हमेशा अपने कर्तव्यों का पालन ईमानदारी से किया है और उन पर लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं. वकील ने अदालत से निवेदन किया कि रानू साहू की स्वास्थ्य स्थिति भी ठीक नहीं है, इसलिए उन्हें जमानत दी जानी चाहिए.
दीपेश टांक के वकील ने ये कहा
दीपेश टांक के वकील ने भी अदालत में तर्क दिया कि उनके मुवक्किल को झूठे आरोपों में फंसाया गया है. वकील ने कहा कि दीपेश टांक एक सम्मानित कारोबारी हैं और उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के आरोप पूरी तरह से आधारहीन हैं. वकील ने अदालत से निवेदन किया कि दीपेश टांक को जमानत दी जानी चाहिए ताकि वह अपनी व्यवसायिक गतिविधियों को फिर से शुरू कर सकें.
कोयला घोटाला से जुड़ा मामला
छत्तीसगढ़ कोयला घोटाला एक बड़े पैमाने पर हुआ भ्रष्टाचार का मामला है, जिसमें कोयला खदानों के आवंटन और संबंधित कार्यों में भारी अनियमितताएं पाई गईं. इस घोटाले में कई उच्च पदस्थ अधिकारियों और नेताओं के नाम शामिल हैं. ईडी और सीबीआई जैसी केंद्रीय एजेंसियां इस मामले की जांच कर रही हैं. जांच में पाया गया कि अधिकारियों और कारोबारियों ने मिलकर कोयला खदानों के आवंटन में भ्रष्टाचार किया और अवैध तरीके से धन अर्जित किया. इस घोटाले ने राज्य की राजनीति और प्रशासन में भारी उथल-पुथल मचा दी है.
सरकारी खजाने को नुकसान का आरोप
छत्तीसगढ़ में कोयला खदानों के आवंटन में अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के आरोप कई सालों से लगे हैं. इस घोटाले के तहत सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचाया गया और कई उच्च पदस्थ अधिकारियों और नेताओं को फायदा पहुंचाया गया. इस मामले की जांच में कई बड़े नाम सामने आए हैं और कई को गिरफ्तार भी किया गया है. रानू साहू और दीपेश टांक की जमानत मिलने के बाद इस मामले में और भी कई खुलासे होने की संभावना है.
छत्तीसगढ़ कोयला घोटाला मामले में रानू साहू और दीपेश टांक की जमानत से संबंधित यह खबर राज्य में चर्चा का विषय बनी हुई है. यह देखना बाकी है कि जांच एजेंसियां आगे इस मामले में क्या कदम उठाती हैं और आगे उनके लिए क्या रणनीतियां अपनाई जाती हैं.
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