रायपुर. आठ महीने तक ऑनलाइन निवेश के लिए प्रचलित रहे शेयर ट्रेडिंग एप क्यूलाफ (qlof) ने अचानक 28 जून को केवाईसी प्रमाणीकरण का हवाला देते हुए राशि आहरण बंद कर दिया. इस एप ने शेयर मार्केट और क्रिप्टो करंसी से मुनाफे के वादे के साथ छत्तीसगढ़ के हजारों लोगों से छोटे-छोटे निवेश कराए.
पहले दौर में तीन हजार रुपये कंपाउंड मनी के नाम पर जमा कराए गए, जिन्हें बाद में दोगुना कर छह हजार रुपये कर दिया गया. इसके बाद 10 हजार रुपये करने की घोषणा की गई. इस बढ़ती कंपाउंड मनी के लालच में लोग तेजी से एप से जुड़ने लगे.
एक निवेशक जोड़ने पर 500 रुपये की सैलरी और जमा राशि में भी वृद्धि की जाती थी. रुपये निकासी के लिए भी समय निर्धारित किया गया था. ऑनलाइन देखने से पता चलता है कि करीब 10 लाख लोगों ने इस एप को डाउनलोड किया है. प्रारंभिक तौर पर शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के करीब 400 करोड़ रुपये डूबने का अनुमान है.
29 जून को केवाईसी प्रमाणीकरण के लिए निवेशकों से छह-छह हजार रुपये जमा करने को कहा गया. निवेशक इस उम्मीद में पैसे जमा कर रहे हैं कि फंसी हुई राशि निकाल सकें. गौर करने वाली बात यह है कि केवाईसी पहले से ही निवेशकों की है, इसलिए वे ऑनलाइन लेनदेन कर पा रहे थे. जो लोग ठगी को समझ चुके हैं, वे अब राशि जमा नहीं कर रहे, परंतु अभी भी राशि जमा करने वालों की संख्या कम नहीं हुई है. व्हाट्सएप चैटिंग के माध्यम से पैसे जमा करने वालों की जानकारी साझा की जा रही है.
साइबर सेल के प्रभारी अजय सोनवानी का कहना है कि क्यूलाफ की जानकारी उन्हें लगी है, परंतु अब तक इसकी शिकायत नहीं मिली है. शिकायत मिलने पर जांच की जाएगी. समय रहते इस एप पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया तो और अधिक निवेशक अपनी राशि गंवा सकते हैं.
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