बिलासपुर. छत्तीसगढ़ में होने जा रहे विधानसभा चुनाव 2023 के लिए कांग्रेस की दूसरी सूची देर से आई, लेकिन कई मामलों में दुरुस्त आई है. कुछ ऐसा ही बिलासपुर सीट को लेकर भी माना जा रहा है. यहां कांग्रेस के कई ऐसे दावेदार थे जो दिग्गजों की पसंद के थे. लेकिन, यहां आखिरकार उस प्रत्याशी को टिकट मिला है, जिन्होंने पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल का गढ़ बन चुके इस विधानसभा सीट से उन्हें पटखनी दी थी. जी हां, शैलेष पांडेय का चयन इस बार भी इसीलिए किया गया है.
यह बात और है कि शैलेष पांडेय टीएस सिंहदेव के समर्थक माने जाते हैं. लेकिन, उससे ज्यादा विनिंग फैक्टर काम कर गया. आपको बता दें कि बिलासपुर सीट किसी जमाने में कांग्रेस का गढ़ रहा था, जिसे अमर अग्रवाल ने ढहाया था. वे 1998 से लगातार इस सीट से जीतते आ रहे थे. फिर 2003 से वे स्वास्थ्य, नगरीय प्रशासन व आबकारी समेत अन्य विभागों में मंत्री भी बनते रहे. उनका कद लगातार बढ़ता चला गया.
इस दौरान कांग्रेस ने कई नेताओं को उनके खिलाफ आजमाया, लेकिन हर बार फेल साबित हुए. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में इंजीनियर व डॉ. सीवी रामन यूनिवर्सिटी के कुलसचिव पद से इस्तीफा देकर राजनीति में आने वाले शैलेष पांडेय पर कांग्रेस ने भरोसा जताया. हालांकि उससे पहले से ही शैलेष यहां अपनी जमीन तैयार करने में जुट चुके थे. ब्राह्मण चेहरा और कई अन्य फैक्टर काम कर गए और आखिरकार अमर अग्रवाल ने पहली बार हार का स्वाद चखा.
पसंद को करना पड़ा दरकिनार
बिलासपुर जैसी महत्वपूर्ण सीट पर कांग्रेस के कई पुराने दावेदार थे. सीएम भूपेश बघेल के कई समर्थकों की भी इस पर नजर थी. कयास लगाया जा रहा था कि पसंद यहां वीनिंग फैक्टर पर हावी हो सकता है. लेकिन, ऐन समय में आलाकमान ने वीनिंग फैक्टर पर ही मुहर लगाई और शैलेष को एक बार फिर मौका मिल ही गया.
ये भी थे प्रबल दावेदार
पिछली बार छत्तीसगढ़ कांग्रेस के उपाध्यक्ष अटल श्रीवास्तव और दिग्गज कांग्रेसी अशोक अग्रवाल की भी इस सीट पर दावेदारी थी. उन्हें दरकिनार कर शैलेष पांडेय को टिकट मिला था. इस बार भी अटल से लेकर विजय केशरवानी तक दावेदार थे. संसदीय सचिव व तखतपुर विधायक रश्मि सिंह भी इस बार बिलासपुर से चुनाव लड़ना चाहती थीं. अंतत: यह सीट शैलेष की झोली में आई. अब सभी की नजर चुनाव नतीजों पर रहेगी, क्योंकि अमर अग्रवाल की सक्रियता पिछली बार से ज्यादा नजर आ रही है.
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