रायपुर। छत्तीसगढ़ में आरक्षण का विवाद थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। अब अनुसूचित जाति वर्ग चाहता है कि उसे दिए जा रहे आरक्षण में संशोधन किया जाए। इसी मामले को लेकर राजभवन जाकर मौजूदा और पूर्व सांसद-विधायकों ने गुहार की है। राज्यपाल ने भी इस पर सकारात्मक पहल करने का भरोसा दिलाया है।
बता दे कि, शुक्रवार शाम SC समुदाय का 30 सदस्यों का प्रतिनिधि मंडल राज्यपाल अनुसुईया उइके से मुलाकात की है। इसमें 2 मौजूदा विधायक, 1 सांसद 12 पूर्व विधायक, 2 पूर्व सांसद, भाजपा के अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश पदाधिकारी, सतनामी समाज के गुरु, महार समाज, गाड़ा समाज, खटिक समाज, मोची, सारथी, सूर्यवंशी समाज के लोग सदस्य है।
विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग
इन्होंने राज्यपाल से मुलाकात कर कहा है कि मौजूदा व्यवस्था में जो 13 प्रतिशत आरक्षण समाज को दिया जा रहा है ये ठीक नहीं है। दरअसल अनुसूचित जाति के लोग 2 दिसंबर को लागू की गई नई व्यवस्था का विरोध कर रहे हैं। ज्ञापन पत्र सौंपकर राज्यपाल से समाज के प्रमुखों ने फिर से विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है।
छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए आरक्षण) संशोधन विधेयक और शैक्षणिक संस्था (प्रवेश में आरक्षण) संशोधन विधेयक पास हुआ है। इन दोनों विधेयकों में आदिवासी वर्ग को 32 फीसदी, अनुसूचित जाति वर्ग को 13 फीसदी और अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण का अनुपात तय हुआ है। सामान्य वर्ग के गरीबों को 4 फीसदी आरक्षण देने का भी प्रस्ताव है। इसको मिलाकर छत्तीसगढ़ में 76 फीसदी आरक्षण हो जाएगा। इस प्रस्ताव के बाद राज्यपाल के हस्ताक्षर अभी नहीं हुए हैं।
पहले आरक्षण का अनुपात
प्रदेश की सरकारी नौकरियों और शिक्षा में अभी 19 सितम्बर तक 58 फीसदी आरक्षण लागू था। इनमें से अनुसूचित जाति को 12 फीसदी, अनुसूचित जनजाति को 32 फीसदी और अन्य पिछड़ा वर्ग को 14 फीसदी आरक्षण था। इसके साथ कुछ हद तक सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए 10 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था थी। लेकिन 19 सितम्बर 2022 को आए बिलासपुर हाईकोर्ट के फैसले से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण खत्म हो गया थी। उसके बाद सरकार ने नया विधेयक लाकर आरक्षण बहाल करने का फैसला किया था।
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