रायपुर. प्रदेश में कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार की सबसे ताकतवर नेताओं में से एक रही राज्य प्रशासनिक सेवा की अफसर सौम्या चौरसिया की जमानत याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने नामंजूर कर दिया है. यही नहीं, उस पर 1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगा दिया है. 500 करोड़ रुपये के कोल ट्रांसपोर्टिंग लेवी घोटाले में नाम आने के बाद ईडी ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. इससे पहले हाईकोर्ट ने भी याचिका नामंजूर कर दी थी. सौम्या के वकील ने तर्क भी दिया था कि उनके 2 छोटे बच्चे हैं. लेकिन, ये तर्क भी काम नहीं आए.
बता दें कि सौम्या चौरसिया भूपेश बघेल की सरकार में मुख्यमंत्री सचिवालय में उपसचिव के पद पर पदस्थ थी. तब ईडी ने कोल लेवी मामले की जांच शुरू की थी. जांच में पता चला कि प्रदेश में कोयला ट्रांसपोर्टिग में 25 रुपये टन की लेवी वसूली की जा रही थी. बाद में भूपेश बघेल की सरकार ने नियमों में बदलाव कर दिया था. इसका फायदा माफिया ने उठाया और सूर्यकांत तिवारी ने बड़ा खेल शुरू किया.
जांच में पता चला कि सूर्यकांत तिवारी को ये पावर भूपेश सरकार की पावरफुल अधिकारी सौम्या चौरसिया के कारण मिला था. तब जांच की रडार पर सौम्या चौरसिया का भी नाम आ गया. आखिरकार ईडी के अफसरों ने 2 दिसंबर 2022 को उसे गिरफ्तार कर लिया. कोर्ट के आदेश पर पहले ईडी की कस्टडी में लेने के बाद केंद्रीय जेल रायपुर भेज दिया गया. तब से वह जेल में बंद है.
याचिका नामंजूर होने के बाद उठाया था कदम
जेल में बंद सौम्या चौरसिया ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में भी जमानत याचिका दायर की थी. इसमें भी तर्क दिया गया था कि याचिकाकर्ता महिला है, और उसके छोटे बच्चे हैं. मामले की सुनवाई में लंबा समय लगना है. लिहाजा उसे जमानत दी जाए. तब कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज कर दी थी. यही तर्क सुप्रीम कोर्ट में भी पेश किया गया. लेकिन, वहां न सिर्फ याचिका नामंजूर हुई, बल्कि 1 लाख का जुर्माना भी लगा दिया गया.
भिलाई की स्मृति नगर चौकी पर पथराव, पुलिस ने 14 लोगों पर दर्ज किया मामला
शबरी पार छत्तीसगढ़ दाखिल हो रहे नक्सली का एनकाउंटर, एक जवान भी घायल
Copyright © 2021 Newsbaji || Website Design by Ayodhya Webosoft