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RPF जवानों की करतूत ने सुसाइड को किया मजबूर, हाई कोर्ट ने खारिज की याचिका

 Newsbaji  |  Aug 27, 2024 01:58 PM  | 
Last Updated : Aug 27, 2024 01:58 PM
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में आरोपी जवानों ने दायर की थी याचिका.
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में आरोपी जवानों ने दायर की थी याचिका.

बिलासपुर. छत्तीसगढ़ में आरपीएफ के दो हेड कांस्टेबलों की अवैध गतिविधियों और दुर्व्यवहार ने एक निर्दोष कबाड़ी को अपनी जान देने पर मजबूर कर दिया. बिलासपुर के तालापारा निवासी एके पात्रे और तिल्दा निवासी मोहित कुमार, जो आरपीएफ के तिल्दा पोस्ट में तैनात थे, ने ट्रेन से चोरी किए गए आयरन प्लेट्स को बेचने के बाद, कबाड़ी को झूठे आरोप में फंसाकर परेशान किया. इन घटनाओं से तंग आकर कबाड़ी अब्दुल खान ने ट्रेन के सामने कूदकर आत्महत्या कर ली, जिसके बाद मामला हाई कोर्ट तक पहुंचा.

घटना की शुरुआत 28 दिसंबर 2021 को हुई, जब आयरन प्लेट्स से भरा एक रैक मांढर रेलवे स्टेशन पर पहुंचा. दोनों आरपीएफ जवानों पर आरोप है कि उन्होंने रैक के ताले खोलकर कुछ लोगों की मदद से प्लेट्स को चुराया और फिर 50-60 बैग भरकर एक कबाड़ी को बेच दिया. इसके बाद, दोनों जवानों ने कबाड़ी अब्दुल खान को झूठे आरोप में फंसा दिया और उसके बेटे साहिल खान पर हमले का झूठा मुकदमा दर्ज करवा दिया. इस उत्पीड़न से परेशान होकर अब्दुल खान ने 10 जनवरी 2022 को अमरकंटक एक्सप्रेस के सामने कूदकर आत्महत्या कर ली.

इस घटना के बाद अब्दुल खान की बेटी जन्नत खान ने आरपीएफ जवानों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई और अपने पिता व भाई के साथ हुए अन्याय की जांच की मांग की. प्रारंभिक जांच के बाद दोनों जवानों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया, और 30 जनवरी 2022 को आरोप पत्र जारी किया गया. इस बीच, आरपीएफ जवानों ने अपनी सफाई में कोर्ट में याचिका दायर की, जिसे पहले भी हाई कोर्ट ने निरस्त कर दिया था.

जांच रिपोर्ट में आरपीएफ जवानों पर गंभीर आरोप लगाए गए, जिनमें वरिष्ठ अधिकारियों के आदेश का उल्लंघन, चोरी में संलिप्तता, कर्तव्य के प्रति लापरवाही, और मृतक अब्दुल खान के साथ दुर्व्यवहार शामिल थे. इसके चलते दोनों जवानों के खिलाफ आईपीसी की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और 506 (धमकी देना) के तहत एफआईआर दर्ज की गई. मामले की सुनवाई के बाद, छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने जवानों की याचिका को खारिज कर दिया और उन्हें जांच रिपोर्ट पर जवाब पेश करने का निर्देश दिया.

हाई कोर्ट के इस फैसले ने आरपीएफ जवानों के खिलाफ उठाए गए कदमों को सही ठहराया है और यह सुनिश्चित किया है कि इस प्रकार के दुर्व्यवहार और अनैतिक गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. अब इन दोनों जवानों को अपनी सफाई पेश करनी होगी, जिससे इस मामले में अंतिम निर्णय लिया जा सके.

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