बिलासपुर. छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में दुष्कर्म पीड़िता की विधवा मां को 10 साल के बच्चे से कुकर्म के मामले आखिरकार जमानत मिल गई है. साथ ही ये मामला झूठा भी साबित हो गया है. पुलिस अफसरों की रिपोर्ट से ये भी स्पष्ट हुआ है कि पूरे मामले में पुलिस को यूज किया गया है. इसी आधार पर रतनपुर थाने से अटैच किए गए टीआई कृष्णकांत सिंह को भी निलंबित कर दिया गया है. मजे की बात ये कि जांच कमेटी में शामिल एसडीओपी सिद्धार्थ बघेल पर भी अब कार्रवाई की तलवार लटक रही है, क्योंकि वे भी इस पूरे घटनाक्रम के दौरान थाने में मौजूद रहे थे.
बता दें कि दुष्कर्म के मामले को कमजोर करने और रिपोर्ट दर्ज कराने वाली युवती पर केस वापस लेने का दबाव बनाने के लिए पहली दफा होगा जब ऐसे मामले में काउंटर केस का यूज किया गया हो. इसके अलावा ऐसे संवेदनशील मामले में पुलिस भी यूज होती रही. दरअसल, रतनपुर निवासी युवती ने कुछ माह पहले आरोपी आफताब मोहम्मद के खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया था. पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. लेकिन, कहानी इसके बाद शुरू हुई और युवती को केस वापस लेने के लिए दबाव बनाने की शुरुआत हुई.
बीजेपी नेता की थी करतूत
एक ओर जहां युवती पर दबाव बनाने के मामले में बीजेपी नेता व पार्टी के अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश महामंत्री हकीम मोहम्मद की बड़ी भूमिका रही. वह आरोपी का चाचा है, जिसे जेल से बाहर निकालने के लिए ही उसने पुलिस से मिलीभगत कर पूरी साजिश रची. एक ओर युवती की मां को झूठे मामले में जेल भिजवाया गया और दूसरी ओर, अपने साथी पार्षदों के जरिए आरोपी के चरित्र प्रमाण पत्र बनवाया. हालांकि बीजेपी ने उसे पार्टी से निष्कासित कर दिया है.
हिंदू संगठन आए आगे
वहीं, युवती और उसकी मां के बारे में जैसे ही हिंदू संगठनों व ब्राह्मण समाज को पता चला वे आगे आ गए और रतनपुर थाने का घेराव करने के साथ ही पिछले रविवार को रतनपुर बंद रखा. धरना-प्रदर्शन के बाद पुलिस अफसरों पर दबाव बनाया गया. आखिरकार एसपी ने जांच कमेटी बनाई. इसी कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर साबित हुआ कि पीड़िता की मां को फंसाया गया है और पुलिस की भूमिका भी संदिग्ध रही है.
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