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दुर्लभ प्रजाति के गिद्ध का नंदनवन में हुआ इलाज, टीम ने बिलासपुर से किया था रेस्क्यू

 Newsbaji  |  Apr 13, 2025 05:47 PM  | 
Last Updated : Apr 13, 2025 05:47 PM
दुर्लभ प्रजाति के गिद्ध का नंदनवन में हुआ उपचार
दुर्लभ प्रजाति के गिद्ध का नंदनवन में हुआ उपचार

रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य में वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक और ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की गई। "जटायु" नामक हिमालयन ग्रिफ़्फॉन गिद्ध, जिसे लगभग दो महीने पहले बिलासपुर वनमंडल से घायल अवस्था में रेस्क्यू कर नंदनवन जंगल सफारी लाया गया था, उसे सफल उपचार के बाद 11 अप्रैल को प्राकृतिक वातावरण में छोड़ा गया है।


गिद्ध का जंगल सफारी के रेस्क्यू सेंटर में विशेषज्ञ टीम की देखरेख में उपचार किया गया। इसके बाद जटायु गिद्ध पर रेडियो टेलीमेट्री टैगिंग की गई, जो कि 4 अप्रैल 2025 को वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, देहरादून के वरिष्ठ वैज्ञानिक सुरेश की उपस्थिति में पूरी हुई।
नंदनवन जंगल सफारी के संचालक धम्मशील गणवीर ने बताया कि यह प्रदेश में गिद्ध संरक्षण की दिशा में एक और मील का पत्थर है। यह दूसरी बार किसी गिद्ध पर रेडियो टेलीमेट्री टैगिंग की गई है। इससे पहले 6 दिसंबर 2024 को एक एगिप्सियन गिद्ध (Egyptian Vulture) पर भी टेलीमेट्री टैगिंग की गई थी, जो अब भी रायपुर जिले के अभनपुर क्षेत्र में सक्रिय रूप से विचरण कर रहा है और उसकी गतिविधियों की निगरानी की जा रही है।
"जटायु" की यह सफल वापसी यह दर्शाती है कि वन विभाग, नंदनवन जंगल सफारी और वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के संयुक्त प्रयासों से छत्तीसगढ़ में वन्यजीव संरक्षण की दिशा में वैज्ञानिक प्रगति हो रही है। रेडियो टेलीमेट्री तकनीक पक्षियों के संरक्षण हेतु अत्यंत प्रभावी उपकरण हैं, जो पक्षियों के प्रवास मार्ग (Migration Route) की पहचान, उनके निवास स्थानों की पसंद और प्राकृतिक व्यवहार की जानकारी, खतरों वाले क्षेत्रों की निगरानी और समय रहते संरक्षण उपाय, संवेदनशील और संकटग्रस्त प्रजातियों के दीर्घकालिक संरक्षण में सहायता, वन्यजीव प्रबंधन नीतियों को वैज्ञानिक आधार प्रदान करता है।

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