सुकमा. रक्षाबंधन के पवित्र त्यौहार पर बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांध रही हैं. वहीं कई भाई जंग के मैदान पर शहादत को पा चुके हैं, जिनकी बहनें आज नम आंखों से उन्हें याद कर रही हैं. वहीं छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में शहादत के 14 साल बाद भी भाई प्रतिमाओं में जिंदा हैं, जिनकी कलाई उनकी बहनें सजा रही हैं. बहनों की आंखें नम हैं पर गर्व भी कि उनके भाई ने देश और समाज के लिए कुछ करके ये शहादत पाई है.
सलवा जुड़ुम के दौर में कई नक्सल वारदात हुई थी और आगे भी जारी रही. इन सबके बीच बड़ी संख्या में सुकमा जिले के गांव-गांव से युवाओं ने पुलिस व अन्य बलों में भर्ती होकर अपनी सेवाएं दी. नक्सलियों से लोहा लिया. कइयों ने वीरगति प्राप्त की. उन जवानों की यादों को सहेजने और उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए ही उन शहीद जवानों की आदमकद प्रतिमाएं जिले के एर्राबोर में स्थापित की गई हैं.
हर खास मौके पर पहुंचते हैं परिजन
कोई त्योहार हो या फिर घर में होने वाला कोई खास मौका. परिजन अपने शहीद बेटे, भाई या पिता की प्रतिमा के पास जाना नहीं भूलते. यहां पहुंचकर उन्हें नहीं लगता कि अब वे उनके बीच नहीं रहे. एक तरीके से अपना सुख-दुख भी व्यक्त करते हैं. लेकिन, आंखें हैं कि नम हो जाती हैं और ढल जाती हैं.
रक्षाबंधन पर नम आंखों से सजाई कलाई
अब रक्षाबंधन जैसे खास मौके पर बहनें कैसे चुकतीं. हाथों में पूजा की थाल सजाकर और राखी लेकर बहनें अपने भाइयों की प्रतिमाओं के पास पहुंचीं. यहां सबसे पहले अपने भाइयों की प्रतिमाओं की आरती उतारी. तिलक लगाया और फिर उनकी कलाई पर रक्षासूत्र बांधा. इस दौरान न सिर्फ उनकी आंखें नम हुईं, बल्कि जो भी देखा वह गमगीन हो गया. यह नजारा यहां पिछले 14 सालों से देखने को मिल रहा है.
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