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राकेश टिकैत छत्तीसगढ़ में बोले- विदेश में उद्योगपति खुद पर टैक्स बढ़ाने को कह रहे, यहां सरकार उनकी तिजोरी भर रही

 Newsbaji  |  Feb 14, 2023 05:26 PM  | 
Last Updated : Feb 14, 2023 06:23 PM
किसान मोर्चा के राकेश टिकैत ने कोरबा में जनसभा को संबोधित किया.
किसान मोर्चा के राकेश टिकैत ने कोरबा में जनसभा को संबोधित किया.

कोरबा. छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में मंगलवार को गंगानगर में सभा का आयोजन किया गया. कुसमुंडा खदान के भूविस्थापितों की मांगों को लेकर हुई इस सभा को संबोधित करने के लिए किसान मोर्चा के प्रमुख व दिल्ली में हुए किसान आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाने वाले राकेश टिकैत भी पहुंचे हुए थे. सभा में हुंकार भरते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार, दोनों ही किसानों और गरीबों की जमीन छीन लेना चाहती हैं. उन्हें उद्योगपतियों की तिजोरी जो भरनी है. आर्थिक मंदी के बीच जहां विदेश के उद्योगपति सरकारों को अपने ऊपर टैक्स बढ़ाने की बात कह रहे हैं. यहां केंद्र सरकार उद्योगपतियों की तिजोरी भरने को बेताब है.

कोरबा के गंगानगर में छत्तीसगढ़ किसान सभा द्वारा विस्थापन पीड़ितों की संघर्ष सभा का आयोजन किया गया. इसमें किसान मोर्चा के अध्यक्ष राकेश टिकैत ने केंद्र व राज्य सरकार को जमकर घेरा. सीधे कहा कि यदि केंद्र और राज्य की सरकारें जनता की आवाज नहीं सुनती, तो आंदोलनों की धमक से इन बहरी सरकारों को अपनी आवाज सुनाने देश की जनता तैयार है. यह भूमि-विस्थापन के खिलाफ आम जनता के संघर्ष का प्रतीक है और इस लड़ाई में वे कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं, उनके साथ मिलकर लड़ेंगे. हसदेव हो या कोरबा या हो बस्तर, केंद्र व राज्य दोनों सरकारें मिलकर उद्योगपतियों को जमीन देना चाहती है और इसके लिए गरीबों से जमीन छीनना चाहती है. लेकिन, हम ऐसा नहीं करने देंगे.

साझा मोर्चा के जरिए लड़ेंगे
राकेश टिकैत ने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ में जमीन बचाने की लड़ाई ही सबसे बड़ी लड़ाई है. पूरे छत्तीसगढ़ में 22 जगहों पर आंदोलन चलाया जा रहा है. इस संघर्ष को सभी संगठनों की पहल से साझा मोर्चा बनाकर और मजबूत करना होगा. मजदूर-किसानों की एकजुटता का यही संदेश लेकर आज संयुक्त किसान मोर्चा के 40 नेता पूरे देश का दौरा कर रहे हैं.

इसी उद्देश्य से वे छत्तीसगढ़ आए हैं. सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि किसान आंदोलनों से सरकार बातचीत करें या फिर उनके गुस्से का सामना करें. एमएसपी को लेकर भी अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के आधार पर सकल लागत का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य देने का कानून बनाने के लिए फिर से देशव्यापी संघर्ष छेड़ा गया है.

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