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रमन सिंह की अजेय रही राजनांदगांव सीट को भेदने अब बाहर‍ियों पर भरोसा, करुणा शुक्ला के बाद गिरीश पर दांव

 Newsbaji  |  Oct 16, 2023 01:48 PM  | 
Last Updated : Oct 16, 2023 01:48 PM
राजनांदगांव से रमन सिंह के मुकाबले गिरीश देवांगन को कांग्रेस ने चुनाव मैदान में उतारा है.
राजनांदगांव से रमन सिंह के मुकाबले गिरीश देवांगन को कांग्रेस ने चुनाव मैदान में उतारा है.

रायपुर. छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद हुए पहले आम चुनाव में बीजेपी की सरकार बनी. मुख्यमंत्री बने डॉ. रमन सिंह जो तब राजनांदगांव से सांसद थे. 2004 के उपचुनाव में वे डोंगरगांव से गीता देवी सिंह को हराकर पहली बार विधायक बने. 2008 में हुए अगले चुनाव से उन्होंने राजनांदगांव को अपनी परंपरागत सीट बना ली. तब से वे यहां से अजेय रहे हैं.

     पूर्व सीएम डॉ. के खिलाफ कांग्रेस ने तोड़ निकालने के कई प्रयास किए है. पिछली बार से तो स्थानीय की जगह बाहरी प्रत्याशियों को मौका देना शुरू कर दिया है. पिछली बार करुणा शुक्ला से कुछ उम्मीद भी जगी थी और हार का अंतर भी पटा था. इस बार खरोरा क्षेत्र से आने वाले गिरीश देवांगन पर पार्टी ने भरोसा जताया है.

डोंगरगांव से मामूली शुरुआत
डॉ. रमन सिंह ने राजनांदगांव को अपना गढ़ बनाने से पहले इसी जिले के डोंगरगांव से विधानसभा की पारी शुरू की थी. 2004 में हुए इस उपचुनाव में वे महज 10 हजार 111 वोटों से ही कांग्रेस की गीता देवी सिंह को हरा सके थे.

हार को जीत में बदलकर बनाया दबदबा
जिस वक्त 2008 में डॉ. रमन ने राजनांदगांव से चुनाव लड़ने का फैसला किया, उस वक्त यहां उदय मुदलियार के रूप में कांग्रेस से विधायक थे. उन्होंने 2003 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के लीलाराम भोजवानी को महज 40 वोट से हराकर जीत हासिल की थी. यानी बीजेपी की जीत की हल्की संभव नजर आ रही परिस्थितियों के बीच रमन ने यहां अपनी पारी की शुरुआत की. फिर तो यह इतिहास रचने की शुरुआत ही बन गई. तब उन्होंने उदय मुदलियार को 32 हजार 389 वोटों से पराजित किया और पहली बार राजनांदगांव से विधायक बने.

रेखा को सद्भावना लहर, फिर भी बढ़ा अंतर
राजनांदगांव से पूर्व विधायक उदय मुदलियार उन कांग्रेस‍ियों में शामिल थे, जो झीरम नक्सल हमले में शहीद हुए थे. 2013 के विधानसभा चुनाव में उनकी पत्नी रेखा उदय मुदल‍ियार को कांग्रेस ने यहां से‍ टिकट दिया. उम्मीद ये भी थी कि सद्भावना लहर में वे कुछ कमाल कर सकती हैं. लेकिन, हुआ उल्टा और रमन की जीत का अंतर इस बार बढ़कर 35 हजार 866 हो गया.

पहली बार बाहरी से मुकाबला, आई गिरावट
2018 का चुनाव बीजेपी के 15 सालों के पतन वाला चुनाव था. पूरे प्रदेश में एंटी इंकंबैसी का माहौल था. तब कांग्रेस ने यहां से अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला को चुनाव मैदान में उतारा. पहली बार बाहरी पर भरोसा और बीजेपी के खिलाफ प्रदेश में माहौल, चाहे जो भी रहा हो. रमन महज 16 हजार 930 वोटों से जीत सके थे. हालांकि अपना गढ़ वे सुरक्षित रख सके थे.

फिर बाहरी से कांग्रेस को उम्मीद
इस बार भी रमन के खिलाफ राजनांदगांव सीट पर कांग्रेस ने ग‍िरीश देवांगन के रूप में बाहरी पर भरोसा जताया है. वे रायपुर के खरोरा क्षेत्र से आते हैं. स्थानीय राजनीति के अलावा वे प्रदेश की कमेटियों में भी अहम जिम्मेदारियां निभाते रहे हैं. अब देखने वाली बात है कि वे रमन का गढ़ बन चुके राजनांदगांव के किले को कितना भेद पाते हैं.

विस चुनाव में रमन का चुनावी सफर
2004  डोंगरगांव उपचुनाव

पराजित प्रत्याशी- गीता देवी सिंह कांग्रेस
जीत का अंतर- 10,111

2008 राजनांदगांव
पराजित प्रत्याशी- उदय मुदलियार कांग्रेस
जीत का अंतर- 32,389

2013 राजनांदगांव
पराजित प्रत्याशी- रेखा उदय मुदलियार कांग्रेस
जीत का अंतर- 35,866

2018 राजनांदगांव
पराजित प्रत्याशी- करुणा शुक्ला
जीत का अंतर- 16,930

2023 राजनांदगांव
विरोधी प्रत्याशी- गिरीश देवांगन कांग्रेस

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