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राहुल गांधी हसदेव अरण्य क्षेत्र में आंदोलनकारियों के पास आएंगे! न्याय यात्रा में आंशिक बदलाव की चर्चा

 Newsbaji  |  Jan 10, 2024 05:28 PM  | 
Last Updated : Jan 10, 2024 05:28 PM
राहुल गांधी हसदेव अरण्य आंदोलन में हिस्सा लेने पहुंचेंगे.
राहुल गांधी हसदेव अरण्य आंदोलन में हिस्सा लेने पहुंचेंगे.

रायपुर. कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष व सांसद राहुल गांधी अपने दूसरे चरण के भारत न्याय यात्रा की शुरुआत करने जा रहे हैं. इस बीच जानकारी मिल रही है कि छत्तीसगढ़ के सरगुजा में हसदेव अरण्य आंदोलन से वे खासा प्रभावित हुए हैं. अपने भाषणों में इसका जिक्र भी कर चुके हैं. वहीं अब वे अपनी यात्रा की कड़ी में छत्तीसगढ़ आएंगे तो यहां वे सरगुजा भी जाएंगे और आंदोलनकारियों से मिलेंगे.

बता दें कि छत्तीसगढ़ का हसदेव अरण्य क्षेत्र कोरबा जिले के उत्तरी हिस्से से लेकर दक्षिणी सरगुजा और सूरजपुर जिले में स्थित एक विशाल वन क्षेत्र है. यह जैव-विविधताओं से भरा हुआ है. इस क्षेत्र में हसदेव नदी और उस पर बने मिनीमाता बांगो डैम का केचमेंट है, जो जांजगीर-चांपा, कोरबा और बिलासपुर जिले के किसानों के खेतों की प्यास बुझाता है. इन सबके बाद भी अडानी को यहां कोल ब्लॉक दे दिया गया और फिर सुरक्षा बलों और पुलिस की मौजूदगी में लोगों के विरोध के बावजूद पेड़ों की कटाई शुरू कर दी गई.

राहुल गांधी करेंगे लोगों से मुलाकात
राहुल गांधी की यात्रा का अहम पड़ाव छत्तीसगढ़ भी रहेगा, जहां वे कुल 5 दिनों तक अपनी यात्रा यहां करेंगे. इस दौरान वे 536 क‍िलोमीटर की यात्रा यहां करेंगे. अब जब हसदेव अरण्य के मुद्दे पर सरगुजा में आंदोलन शुरू हो गया है तो बताया जा रहा है कि राहुल गांधी वहां भी जाने वाले हैं. इसके लिए अब पुराने शेड्यूल में बदलाव किया जा रहा है और अब उनकी यात्रा में सरगुजा भी शामिल होगा. यह भी हो सकता है कि वे अलग से समय निकालकर यहां पहुंचे.

अब तक ये हुआ
हसदेव अरण्य क्षेत्र में जमीन के नीचे कोयले का भंडार होने से यहां खदान खोलने का दौर साल 2010 से शुरू हुआ. केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इसकी मंजूरी दी और उस समय की राज्य में काबिज बीजेपी की सरकार ने इसका प्रस्ताव भेजा था. तब साल 2010 में ही केंद्रीय वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने पूरे हसदेव अरण्य क्षेत्र में खनन को प्रतिबंधित कर नो-गो एरिया घोषित किया था. बाद में इसी मंत्रालय के वन सलाहकार समिति ने खनन की अनुमति नहीं देने के निर्णय से विपरीत जाकर परसा ईस्ट और केते बासन कोयला खनन परियोजना को वन स्वीकृति दे दी थी.

इसे साल 2014 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने निरस्त कर दिया था. इन सबके बाद केंद्र में वर्तमान बीजेपी सरकार ने परसा कोल ब्लॉक का काम शुरू करने की अनुमति अडानी की कंपनी को दे दी. दरअसल, यहां आवंटन राजस्थान सरकार को दिया गया है. राजस्थान सरकार की राजस्थान राज्य विद्युत निगम लिमिटेड कंपनी ने इसका एमडीओ अडानी को दिया है. अब अडानी की कंपनी यहां से कोल परिवहन का काम कर रही है

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