कांकेर. छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के भानुप्रतापपुर पहुंचे कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष व सांसद राहुल गांधी ने बड़ा ऐलान किया है. उन्होंने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी तो केजी से लेकर पोस्ट ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई अब फ्री में होगी. किसी भी सरकारी स्कूल और कॉलेज में एडमिशन फीस से लेकर तमाम अन्य फीस नहीं ली जाएगी.
राहुल गांधी ने भानुप्रतापपुर में कई महत्वपूर्ण बातें कहीं. कई पुरानी घोषणाओं को दोहराने के साथ ही केंद्र की बीजेपी सरकार और पीएम मोदी के खिलाफ आरोप लगाए. इसके साथ ही ये एक महत्वपूर्ण घोषणा भी की. उन्होंने इस दौरान स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल की भी जमकर तारीफ की. साथ ही कहा कि अब एक और महत्वपूर्ण घोषणा इस मंच से कर रहा हूं. अब किसी भी सरकारी स्कूल और कॉलेज में एक रुपये भी फीस नहीं ली जाएगी.
ओबीसी 50 प्रतिशत से अधिक, बजट 5 परसेंट
राहुल गांधी ने इससे पहले कहा कि केंद्रीय अफसरों के रूप में 90 लोगों में से हिंदुस्तान की सरकार चलाते हैं. पिछड़े वर्ग के कितने हैं. 3 लोग ही ओबीसी से हैं. बजट 45 लाख करोड़ रुपये का है. उसमें से ओबीसी को क्या मिलता है. क्या यहां ओबीसी की आबादी 5 परसेंट ही है. जहां भी जाते हैं हम, पिछड़े लोग मिलते हैं. हर प्रदेश में मिलते हैं.5 परसेंट हो ही नहीं सकते. 50 से 55 परसेंट ओबीसी हैं. पीएम मोदी आपको सच्चाई नहीं बताना चाहते. उन्हें जागरूक होना होगा. आपकी आबादी इतनी है. 5 परसेंट भागीदारी भी नहीं मिलती.
जातीय जनगणना पर ये कहा
राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री कहते हैं कि 24 घंटे ओबीसी की सरकार चलाता हूं. हर ओबीसी युवा को ये बात समझनी होगी. बीजेपी और पीएम मोदी अन्याय कर रहे हैं. हमारी सरकार बनती है तो पहला कदम आपके लिए होगा वह है जातीय जनगणना का. उसके बाद पूरे देश को पता लग जाएगा कि सच्ची आबादी कितनी है.
क्यों नहीं जारी करते आंकड़े
सभा में राहुल गांधी ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री तो न प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हैं और न पत्रकार कोई सवाल ही पूछ सकता है. हां, जब मीटिंग करते हैं, बातचीत करते हैं तो उनसे पूछें कि हमने जो जातीय जनगणना कराई थी, उसके आंकड़े क्यों रिलीज नहीं करते. लेकिन, हम जैसे पिछली बार 2 घंटे के भीतर योजना पर अमल किया था, इस बार भी ऐसा ही करेंगे.
आदिवासी यानी जमीन के असली मालिक
राहुल गांधी ने आदिवासी समाज पर भी अपनी बात रखी. कहा कि हम आदिवासी कहते हैं और बीजेपी के लोग वनवासी कहते हैं. शब्दों में बहुत कुछ छिपा होता है. दोनों बिल्कुल अलग चीजें हैं. आदिवासी वे लोग हैं, जो हिंदुस्तान के पहले मालिक थे. पूरी जमीन के वास्तविक मालिक जो इस देश में पहले रहते थे. उन्हें हम आदिवासी कहते थे. मतलब, आदिवासियों को जमीन का अधिकार मिलना चाहिए. उनका इतिहास, जंगल, जमीन, उनका है उनकी रक्षा की जानी चाहिए. उन्हें हक मिलनी चाहिए.
वनवासी शब्द अपमान
राहुल ने कहा कि वनवासी का दूसरा मतलब होता है. आप पहले मालिक थे यह नहीं है. ये नहीं कहते कि हक मिलना चाहिए. इसका मतलब है आप जंगल में रहते हो. आदिवासियों का ये अपमान है. आप पर आपकी संस्कृति पर आक्रमण है. आपकी भाषा पर आक्रामण है. सच्चा शब्द आदिवासी है.
ये है सोच में अंतर
कांग्रेस और बीजेपी का आदिवासियों को लेकर सोच में अंतर भी राहुल गांधी ने बताया. कहा कि एमपी में एक आदिवासी युवा पर बीजेपी के नेता ने पेशाब किया. ये इनकी सोच है. हमने पेसा कानून लाया, जमीन पर अधिकार दिया. आदिवासी बिल में साफ लिखा था कि जमीन लेनी है तो बिना ग्रामसभा से पूछे जमीन नहीं ले सकते. अडानी हो, कोई अरबपति हो, जमीन लेनी है तो ग्रामसभा से पूछकर परमिशन लेकर ले सकते हैं. वरना नहीं. बीजेपी ने परमिशन को रद्द कर दिया. पेसा कानून, आदिवासी बिल को खोखला कर दिया.
वनोपज पर एमएसपी बढ़ेगा
राहुल गांधी ने कहा कि तेंदुपत्ता की बोली 2500 रुपये में थी. अब उसे 4000 करने जा रहे हैं. यानी समर्थन मूल्य अब 4000 रुपये होगा. इसी तरह दूसरे लघु वनोपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी सभी में 10 रुपये अतिरिक्त दिए जाएंगे.
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